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टॉप रैंकिंग वाले शहर: इंदौर सबसे आगे
‘नेशनल क्लीन सिटी’ श्रेणी में इंदौर, अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) और मैसूर (कर्नाटक) शामिल हुए हैं। वहीं 10 लाख से अधिक आबादी वाली श्रेणी में इंदौर पहले, सूरत दूसरे और नवी मुंबई तीसरे स्थान पर रहा। उज्जैन को ‘सबसे स्वच्छ मध्यम शहर’, दिल्ली को ‘सबसे स्वच्छ छोटा शहर’ और भोपाल को ‘सबसे स्वच्छ राजधानी’ का खिताब मिला है।
नए मानकों के आधार पर हुआ सर्वेक्षण
इस बार के स्वच्छ सर्वेक्षण को और पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए जनसंख्या के आधार पर पाँच श्रेणियाँ बनाई गईं:
- 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर
- 3 से 10 लाख की आबादी
- 50 हजार से 3 लाख
- 20 से 50 हजार
- 20 हजार से कम आबादी
इसके अलावा, ‘फास्टेस्ट मूवर बिग सिटी’ में रायपुर और नागरिकों के फीडबैक पर आधारित ‘मोस्ट लव्ड सिटी’ में नवी मुंबई को सम्मानित किया गया।
इंदौर की सफाई व्यवस्था क्यों है सबसे आगे?
इंदौर की सफलता का राज़ उसकी मजबूत, नियोजित और अत्यधिक अनुशासित सफाई प्रणाली है:
- डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण: रोजाना 757 गाड़ियाँ 1,200 टन कचरा जिसमें 700 टन गीला और 500 टन सूखा कचरा शामिल है सीधे घरों से इकट्ठा करती हैं।
- प्रशासनिक नियंत्रण: शहर को 22 ज़ोन में बाँटा गया है, प्रत्येक में ज़ोनल अधिकारी नियुक्त हैं; 44 ACSI और 22 CSI निगरानी रखते हैं।
- मशीनरी व मानवबल: 5,000 सफाईकर्मी, 1,500 सहायक अमला और 23 स्वीपिंग मशीनें नियमित सफाई करती हैं।
- तेज़ प्रतिक्रिया: त्योहारों जैसे दीपावली, रंगपंचमी पर फैले कचरे को महज कुछ घंटों में पूरी तरह साफ कर दिया जाता है।
2016 में नगर निगम ने निजी कंपनी से सफाई का ठेका छीनकर खुद इसकी जिम्मेदारी ली, जिसके बाद यह परिवर्तन संभव हुआ।
‘इंदौर मॉडल’ बना वैश्विक आकर्षण
इंदौर की सफाई व्यवस्था अब ग्लोबल बेंचमार्क बन चुकी है। दुनियाभर के 50 से अधिक देशों जैसे फ्रांस, फिजी, जाम्बिया, ग्वाटेमाला, होंडूरस और उरुग्वे के प्रतिनिधि इंदौर आकर इसकी प्रणाली का अध्ययन कर चुके हैं।
- बांग्लादेश का विशेष दल: ज्वाइंट सेक्रेटरी निरोद चंद्र मंडल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने इंदौर के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को नज़दीक से समझा।
- राष्ट्रीय अध्ययन दौरे: यूपी, हैदराबाद, तेलंगाना जैसे राज्यों के अधिकारी व मेयर यहां के बायो-CNG संयंत्र, डोर-टू-डोर संग्रहण और होम कंपोस्टिंग मॉडल सीखने आ चुके हैं।
IIM इंदौर की पहल: ‘अन्वेषण’ से राष्ट्रीय नेतृत्व तैयार
IIM इंदौर ने ‘अन्वेषण’ नामक कोर्स शुरू किया है, जिसमें देशभर के नगर निगम आयुक्त और अधिकारी स्वच्छता और जल-स्वास्थ्य (WASH) से जुड़ी ट्रेनिंग प्राप्त करते हैं। यह चार दिवसीय कार्यक्रम न सिर्फ बेस्ट प्रैक्टिसेज साझा करता है, बल्कि राज्यों के बीच समन्वय भी बनाता है।
IIM निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने कहा, “हमारी पहल का उद्देश्य टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियाँ विकसित करना और अधिकारियों को जिम्मेदार नेतृत्व के लिए प्रशिक्षित करना है।”
नेताओं की प्रतिक्रियाएं
इंदौर के विधायक और वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने सोशल मीडिया पर खुशी जताते हुए लिखा, “सुपर स्वच्छ इंदौर, यह एक अलग दौर है! राष्ट्रपति जी से पुरस्कार प्राप्त कर गर्व की अनुभूति हो रही है।” उन्होंने शहरवासियों और नगर निगम के कर्मचारियों को बधाई दी।
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने वीडियो संदेश में कहा, “यह सिर्फ पुरस्कार नहीं, इंदौर के हर नागरिक की मेहनत और जिम्मेदारी का प्रतीक है। हम अब देश को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने के लिए तैयार हैं।”
इंदौर की यह यात्रा केवल एक शहर की नहीं, बल्कि एक समूचे जनसंकल्प की कहानी है। जब जागरूक नागरिक, सक्षम प्रशासन और राजनीतिक इच्छाशक्ति एक साथ आते हैं, तो शहर नहीं, संस्कृतियाँ बदल जाती हैं। ‘स्वच्छ भारत’ अब सिर्फ नारा नहीं, बल्कि एक ग्लोबल मिशन बन चुका है जिसका नेतृत्व इंदौर कर रहा है।