टीएमसी छोड़ भाजपा में चले गए थे 13 विधायक, अब भाजपा को जोर का झटका दे सकती हैं ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले एक-एक कर कई नेता तृणमूल कांग्रेस (TMC) छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए थे। मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी के करीबी रहे सुवेंदु अधिकारी और उनके पिता शिशिर अधिकारी समेत कितने ही बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थामा था। लेकिन चुनाव के बाद एक बार फिर इन नेताओं की घरवापसी होते दिखाई दे रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी के एक या दो नहीं बल्कि 33 विधायक ऐसे हैं, जो दोबारा टीएमसी में वापस आना चाहते हैं। दावा किया जा रहा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के बेटे सुभ्रांशु भी तृणमूल में शामिल होना चाहते हैं। हालांकि भाजपा ने इसे कोरी अफवाह करार दिया है। बीजेपी प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा “जो लोग मुझे 33 का आंकड़ा दे रहे हैं, मैं उन्हें 72 की संख्या बता रहा हूं, क्योंकि यह दावा झूठा है।”
तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री भाजपा में चले गये तृणमूल के लोगों की वापसी पर फैसला लेंगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी बहुत चुनिंदा नेताओं की वापसी करेगी ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश दिया जा सके कि बगावत बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
तृणमूल के एक नेता ने नाम जाहिर नहीं होने के अनुरोध के साथ कहा, ‘‘इस मुद्दे पर शीर्ष नेतृत्व ही अंतिम फैसला ले सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस समय हम कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं और चक्रवात यास के बाद राहत कार्यों का बंदोबस्त कर रहे हैं।’’
तृणमूल कांग्रेस के नेता दीपेंदु बिस्वास और सोनाली गुहा समेत अनेक पूर्व विधायक पिछले कुछ दिनों में पत्र लिखकर भाजपा में शामिल होने के लिए खेद जता चुके हैं। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस में वापसी की इच्छा जाहिर की है। एक समय बनर्जी की करीबी रहीं सोनाली ने मुख्यमंत्री से माफी की मांग करते हुए कैमरे पर भावुक अपील की।
दक्षिण 24 परगना के सतगचिया से चार बार विधायक रहीं सोनाली ने एक पत्र में लिखा कि जिस तरह पानी के बाहर मछली नहीं रह सकती, उसी तरह दीदी, ‘मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगी।’ अटकलें तो तृणमूल कांग्रेस के संस्थापकों में शामिल रहे मुकुल रॉय की भी संभावित घर वापसी को लेकर चल रही हैं जो भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं।
हाल ही में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक ने शहर के एक अस्पताल में जाकर रॉय की पत्नी का हालचाल जाना और उनके बेटे से बात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रॉय को फोन कर उनकी पत्नी की सेहत के बारे में पूछा।
रॉय तृणमूल कांग्रेस में वापसी की अटकलों को अपनी तरफ से खारिज करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अटकलों का बाजार अब भी गर्म है क्योंकि बनर्जी ने कहा था कि रॉय का बर्ताव इतना बुरा नहीं है। मुख्यमंत्री बनर्जी ने चुनाव प्रचार के दौरान बागी नेताओं को मीर जाफर की संज्ञा दी थी। अब तृणमूल कांग्रेस चुनिंदा तरीके से नेताओं की घर वापसी कर सकती है।
कलकत्ता रिसर्च ग्रुप के सदस्य और जानेमाने राजनीतिक विश्लेषक रजत रॉय ने कहा कि इसका मकसद सांगठनिक रूप से भाजपा को कमजोर करना होगा लेकिन उसी समय वह सभी नेताओं की घर वापसी नहीं कराएगी ताकि बगावत करने वालों के साथ सख्ती का संदेश भी जाए।
विश्लेषकों की मानें तो तृणमूल कांग्रेस इस लिहाज से कांग्रेस और वाम मोर्चा की मिलीजुली रणनीति को अपनाएगी। कांग्रेस जहां अतीत में अपने असंतुष्ट नेताओं को अक्सर वापस लेती रही है, वहीं वाम दलों की सामान्यत: ‘असंतुष्टों तथा बागियों’ को वापस नहीं लेने की नीति रही है।
हालांकि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने कहा, ‘‘कल होने वाली संगठन की बैठक में महत्वपूर्ण समय में पार्टी को छोड़कर मोदी और शाह के नेतृत्व वाले झूठ ब्रिगेड में शामिल हो गये नेताओं को वापस लेने का मुद्दा नहीं आएगा।’’
उन्होंने अभिषेक बनर्जी के एक निजी अस्पताल में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय की पत्नी का हालचाल जानने के लिए पहुंचने को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और इसे शिष्टाचार भेंट बताया। तृणमूल कांग्रेस के एक और शीर्ष नेता ने नाम जाहिर नहीं होने की शर्त पर कहा, ‘‘पार्टी की किसी ऐसी बैठक में आमतौर पर ऐसे मुद्दों पर चर्चा नहीं होती जहां बड़ी संख्या में लोग शामिल हो रहे हों।’’

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