इंदौर। हमेशा अनेक मरीजों की एक सामान्य शंका होती है कि मैंने कोई व्यसन नहीं किया, सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू का सेवन नहीं किया। मैं रोज सवेरे उठकर योगा, प्राणायाम करता हूं, मैंने कभी भी अधिक चिकनाई युक्त भोज्य पदार्थों का सेवन नहीं किया अर्थात मेरी जीवन शैली सदैव संतुलित रही है, फिर भी मुझे बीमारी क्यों? इस प्रकार अनेक बीमारियों के कारणों का सेवन नहीं करने पर भी बीमारियों का हो जाना, रोगियों को विचलित करता है, जिनकी समस्याओं का समाधान करना एक चिकित्सक के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि मानसिक रूप से तृप्त व्यक्ति की बीमारी जल्दी खत्म होती है, ऐसा देखा भी जाता है। तो क्या इन सभी चीजों का सेवन करने से भी बीमारियां होती हैं और नहीं करने से भी बीमारियां होती हैं तो इस स्थिति में क्या मानसिक और शारीरिक सुख देने वाले इन पदार्थों का सेवन किया जाए। परंतु ऐसा कदापि नहीं है, यदि आप इन अहित पदार्थों का सेवन करते हैं तो यह पदार्थ धीरे धीरे आपके शरीर के अंगों एवं कोशिकीय क्षमता को नष्ट करते हैं। जैसे यदि हम एक उदाहरण लें कि दो व्यक्तियों को फेफड़ों का कैंसर होता है, जिनमें एक व्यक्ति लगातार धूम्रपान करता रहा और एक व्यक्ति ने कभी भी जीवन में इसका प्रयोग नहीं किया, तो इस समय धूम्रपान नहीं करने वाले व्यक्ति के लिए यह बीमारी सुख साध्य होती है, अर्थात जल्दी सही होती है क्योंकि इस व्यक्ति के फेफड़े पूरी तरह स्वस्थ होते हैं। फेफड़ों की कोशिकाएं पूरी तरह ऑक्सीजन एवं रक्त प्रवाह के लिए स्वस्थ होती हैं, ऐसी स्थिति में फेफड़ों में स्थित कैंसर कोशिकाओं का विभाजन कम होता है और कैंसर कोशिकाएं जल्दी मरती हैं, जबकि धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के फेफड़े लगातार खराब होने के कारण इनकी क्षमता कम हो जाती है। और बीमारी से लड़ना मुश्किल हो जाता है। यदि आज हम कोरोनावायरस के संदर्भ में बात करें तो लगातार व्यायाम करने वाले, आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करने वाले, लगातार काढे का सेवन करने वाले एवं अपने आप को संक्रमण से सुरक्षित रखने के सारे उपाय करने के बाद भी लोगों को संक्रमण हुआ, किंतु लगातार योगा, प्राणायाम करने वाले व्यक्तियों की जीवनीय क्षमता अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण इस रोग से लड़ने में सहायता मिली।
ऐसे लोगों का ऑक्सीजन सैचुरेशन सामान्य रहा और फेफडे स्वस्थ रहे। ऐसा कई सर्वे में देखा गया। ऐसे व्यक्तियों का रक्तचाप, ब्लड शुगर नियंत्रित रहा एवं अन्य अंगों के लक्षण भी कम मिले। अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण कोरोना के लक्षणों को शरीर में पनपने नहीं दिया। सारांश यह है कि हम इस पर विचार करें की यदि हम सभी प्रकार के उपयुक्त आहार-विहार का पालन करें, दिनचर्या, रात्रि चर्या के नियमों का पालन करे, गलत आदतों का सेवन ना करें, तेज मिर्च मसाले युक्त भोजन का सेवन ना करें, धूम्रपान, तंबाकू आदि का सेवन ना करें अर्थात उन सभी चीजों से दूर रहें जो शरीर के लिए नुकसानदायक हैं, तो ऐसे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और यदि ऐसे व्यक्ति को कोई रोग हो भी जाता है तो शरीर उससे लड़ने के लिए तैयार रहता है और उससे बीमारी जल्दी खत्म होती है इसलिए समाज में इस अवधारणा एवं ऐसी सोच वाले व्यक्तियों से दूर रहें जो कहते हैं कि तथाकथित व्यक्ति सारे नियमों का पालन करता था फिर भी उसे कोई बीमारी हो गई किसी बीमारी के होने के अनेक कारण होते हैं परंतु शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो तो रोगों पर विजय पाई जा सकती है।
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