ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को पृथ्वी पर अवतरित हुई थी गंगा

मेरठ। मोक्ष दायिनी पवित्र पावनी के रूप में साक्षात देवी मां गंगा ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की दशमी को भगवान शंकर की लटाओं से पृथ्वी लोक पर अवतरित हुई। करोड़ों की आस्था मां गंगा सबके पाप और गंदगी को अपने साथ लेकर पूर्ण रूप से पवित्र पावनी है। गंगा जल तभी तो वर्षो रखे रहने के बाद भी खराब नहीं होता है।
पंडित मुनेन्द्र तिवारी बताते हैं कि राजा भगीरथ की घोर तपस्या के बाद पृथ्वी पर पापों को धोने के लिए गंगा अपने तेज वेग से साथ आई तो भगवान शंकर ने मां गंगा को अपनी जटाओं में रोक लिया। 
ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा भगवान शंकर की जटाओं से पृथ्वी लोक पर अवतरित हुई तो गंगा जिधर से गुजरी हरा भरा कर गई। मां गंगा ने करोड़ों को रोजगार दिया तो जमीन को उपजाऊ बनाकर हरा भरा कर दिया। 

इस समय से शुरू हो जाएगा गंगा दशहरा पर्व
ज्येष्ठ गंगा दशहरा का पर्व शनिवार (19 जून) शाम 6.45 बजे से शुरू होकर रविवार (20 जून) शाम 4.21 बजे तक रहेगा। पंडित मुनेन्द्र तिवारी के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने से जीवन के सभी पाप कट जाते हैं। इस गंगा स्नान पर लोग अपने नवजात बच्चों का गंगा किनारे मुंडन कराना बेहद शुभ मानते हैं।

गंगा में नहाने से मिलती है आत्मशांति
पंडित मुनेन्द्र तिवारी बताते है कि गंगा के दर्शन करने से आत्म शांति मिलती है तथा गंगा स्नान करने से पाप धुल जाते हैं। गगां साक्षात देवी का दर्जा प्राप्त होने पर करोड़ों की आस्था है। गंगा जल वर्षो रखे रहने के बाद भी खराब नहीं होता है। पवित्र धार्मिक कार्य पूजा में गंगा जल का विशेष महत्व होता है। गंगा की जिसपर कृपा बरस जाए वह दुख और पापों से दूर रहता है। नित्य रूप से गंगा आरती कर आत्म शांति मिलती है। तीर्थ पुरोहित बताते हैं कि मां गंगा जीव जन्तु व मानव प्राणी की पालन हार है।

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