भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बनेंगे सीपी राधाकृष्णन, 452 वोट पाकर जीता चुनाव
नई दिल्ली। एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन देश के नए उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। सोमवार को हुए मतदान में उन्हें 452 वोट मिले जबकि विपक्षी गठबंधन इंडिया के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट हासिल हुए। राधाकृष्णन ने 152 वोटों से जीत दर्ज की।


98 प्रतिशत मतदान, 15 वोट अमान्य
कुल 767 सांसदों ने वोट डाले। इनमें से 752 वैध और 15 अमान्य पाए गए। मतदान प्रतिशत 98 रहा। शाम पांच बजे मतदान खत्म होने के बाद छह बजे गिनती शुरू हुई और देर शाम नतीजे घोषित किए गए।

हार के बाद रेड्डी का बयान
पराजय के बाद बी. सुदर्शन रेड्डी ने कहा, “मैं सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं देता हूं। नतीजा हमारे पक्ष में नहीं है, लेकिन वैचारिक लड़ाई और मजबूती से जारी रहेगी।”

पीएम मोदी सबसे पहले वोट डालने पहुंचे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले संसद भवन में मतदान किया। उनके साथ किरेन रीजीजू, अर्जुन राम मेघवाल, जितेंद्र सिंह और एल. मुरुगन भी मौजूद थे। शुरुआती घंटों में राजनाथ सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, हरिवंश, एच.डी. देवेगौड़ा, राम गोपाल यादव, जयराम रमेश और सैयद नासिर हुसैन ने भी वोट डाले।
92 वर्षीय देवेगौड़ा व्हीलचेयर पर मतदान केंद्र पहुंचे। वहीं नितिन गडकरी और मल्लिकार्जुन खरगे हाथों में हाथ डाले वोट डालने गए। अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी वाद्रा, शरद पवार, असदुद्दीन ओवैसी और जेल में बंद सांसद इंजीनियर रशीद समेत कई नेताओं ने भी मतदान किया।

कांग्रेस का दावा धरा रह गया
कांग्रेस ने दावा किया था कि उसके पक्ष में 315 सांसद वोट करेंगे, लेकिन आंकड़े इसके अनुरूप नहीं रहे। इस बीच बीआरएस और बीजेडी ने चुनाव से दूरी बनाई। अकाली दल का सांसद बाढ़ की वजह से मतदान में शामिल नहीं हो सका।

दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से
यह चुनाव इसलिए भी खास रहा क्योंकि दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से थे। राधाकृष्णन तमिलनाडु से और रेड्डी तेलंगाना से आते हैं।

राधाकृष्णन की राजनीतिक यात्रा
सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु आरएसएस से जुड़े रहे हैं। 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया और 2024 में महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया। राज्यपाल रहते हुए उन्होंने विवादास्पद राजनीतिक मुद्दों पर बयान देने से परहेज किया।
वे पहली बार 1998 में कोयंबटूर से लोकसभा पहुंचे और 1999 में दोबारा निर्वाचित हुए।