भोपाल। सरकार ऐसा फॉर्मूला निकालने की कोशिश कर रही है जो बच्चों को संक्रमण से बचाने के साथ-साथ स्कूल खोलने में मददगार हो। इसके लिए अक्सर कोरोना कर्फ्यू का फॉर्मूला अपनाया जाता है। यानी जिस जिले, शहर या गांव में कोरोना का संक्रमण होगा, वहां स्कूल बंद कर दिए जाएं और अन्य जगहों को खोल दिया जाए। इसी तरह शहर के जिस क्षेत्र में संक्रमण होगा, वहां के स्कूल बंद रहें। यह भी तय होगा कि किस उम्र में बच्चों को कितनी देर तक क्लास में बुलाया जाए। हालांकि यह आपदा प्रबंधन समितियों के सुझाव से ही संभव हो सकता है। साथ ही अंतिम फैसला कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए ही लिया जाएगा। गौरतलब है कि केजी से लेकर हायर सेकेंडरी तक राज्य के सरकारी और निजी स्कूलों में 1.5 करोड़ छात्र पढ़ते हैं।
राज्य में पिछले डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं. केवल ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है। संकाय शिक्षा विभाग का मानना है कि यह उदाहरण युवाओं के बौद्धिक और शारीरिक विकास के लिए अच्छा नहीं है, इसलिए स्कूल खोलना आवश्यक हो गया है, लेकिन उनकी सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया गया है। कक्षाओं में सुरक्षित शारीरिक दूरी बनाए रखना एक बड़ी चुनौती हो सकती है। अगर सरकार को डोमिनियन डे से स्कूल खोलना है, तो अगले आठ दिनों के भीतर एक विकल्प लेना होगा। इसे देखते हुए विभाग स्तर पर तेजी से तैयारी की जा रही है। शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों से लगातार बातचीत हो रही है।
यह फार्मूला हो सकता है
1. नौवीं से हायर सेकेंडरी: यदि किसी कक्षा के एक सेक्शन के दौरान 40 छात्र हैं, तो 20 बच्चे किसी समय स्कूल में आएंगे और शेष 20 बच्चे अगले दिन आएंगे।
2. VI से VIII: बच्चों को अक्सर सप्ताह में एक या दो बार बुलाया जा सकता है। वो भी सीमित संख्या में। यह स्कूल की क्षमता को भी ध्यान में रखा जाएगा।
1. नौवीं से हायर सेकेंडरी: यदि किसी कक्षा के एक सेक्शन के दौरान 40 छात्र हैं, तो 20 बच्चे किसी समय स्कूल में आएंगे और शेष 20 बच्चे अगले दिन आएंगे।
2. VI से VIII: बच्चों को अक्सर सप्ताह में एक या दो बार बुलाया जा सकता है। वो भी सीमित संख्या में। यह स्कूल की क्षमता को भी ध्यान में रखा जाएगा।
3. पहली से पांचवीं: फिलहाल ऑनलाइन ही पढ़ाया जा सकता है।
4. केजी और नर्सरी: बच्चों को फिलहाल नहीं बुलाया जाएगा।
4. केजी और नर्सरी: बच्चों को फिलहाल नहीं बुलाया जाएगा।
समितियों का सुझाव महत्वपूर्ण
सरकार भी स्कूल खोलने के विकल्प लेने में जनता की भागीदारी को महत्व देगी। सरकार जिला, विकास खंड और ग्राम स्तर पर गठित आपदा प्रबंधन समितियों से सलाह लेगी। इसके अलावा बाल रोग विशेषज्ञों (इस क्षेत्र में काम कर रहे स्वैच्छिक संगठन, बाल रोग विशेषज्ञ और शिक्षाविद) की सलाह ली जाएगी।
सरकार भी स्कूल खोलने के विकल्प लेने में जनता की भागीदारी को महत्व देगी। सरकार जिला, विकास खंड और ग्राम स्तर पर गठित आपदा प्रबंधन समितियों से सलाह लेगी। इसके अलावा बाल रोग विशेषज्ञों (इस क्षेत्र में काम कर रहे स्वैच्छिक संगठन, बाल रोग विशेषज्ञ और शिक्षाविद) की सलाह ली जाएगी।
इनका कहना
एक जुलाई से स्कूल खोलने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन युवाओं की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता, इसलिए हम एक मजबूत फॉर्मूला बना रहे हैं। कोशिश यह है कि कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को सप्ताह में एक-दो बार ही बुलाएं हैं और नौवीं से बारहवीं कक्षा के बच्चों को नियमित नहीं बुलाएं।
- इंदर सिंह परमार, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), स्कूल शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश
एक जुलाई से स्कूल खोलने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन युवाओं की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता, इसलिए हम एक मजबूत फॉर्मूला बना रहे हैं। कोशिश यह है कि कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को सप्ताह में एक-दो बार ही बुलाएं हैं और नौवीं से बारहवीं कक्षा के बच्चों को नियमित नहीं बुलाएं।
- इंदर सिंह परमार, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), स्कूल शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश
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