तीसरी लहर की आशंका के बीच कोरोना से निपटने के लिए केंद्र की नई रणनीति, जिला स्तर पर सीरो सर्वे के दिए निर्देश

नई दिल्ली। कोरोना वायरस कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच केंद्र सरकार ने नई रणनीति तैयार की है
। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से अपने क्षेत्र में जिला स्तर पर सीरो सर्वे करने को कहा है, ताकि कोरोना संक्रमण की सही स्थिति का पता चल सके। 
हालांकि, इससे पहले चौथे सीरो सर्वे के दौरान आईसीएमआर ने स्पष्ट किया था कि ये नतीजे राज्यों के हैं। इसे जिला स्तर पर नहीं माना जाना चाहिए, यह मोटे तौर पर देश में संक्रमण के स्तर को दर्शाता है। इसे देखते हुए जमीनी स्तर पर हर राज्य का क्या हाल है, इसे समझने के लिए अब जिला स्तरीय सर्वे पर जोर दिया जा रहा है।
देश में चार महीनों में कोरोनोवायरस के सबसे कम एक दिन के मामलों की रिपोर्ट करने के साथ, सरकार ने कहा कि एक सीरो सर्वेक्षण में पाया गया कि छह साल से अधिक उम्र की दो-तिहाई आबादी में सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी थे। है।
केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्थानीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को तैयार करने के लिए आवश्यक 'सीरोप्रवलेंस' पर जिला-स्तरीय डेटा तैयार करने के लिए आईसीएमआर के परामर्श से सीरो सर्वेक्षण करने की सलाह दी है।
 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण द्वारा सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों / प्रमुख सचिवों / सचिवों (स्वास्थ्य) को लिखे गए एक पत्र में यह कहा गया है।
 मंत्रालय ने देश के 70 जिलों में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा हाल ही में किए गए नेशनल सीरो सर्वे के आंकड़े भी साझा किए। इसके अनुसार मध्य प्रदेश में सर्वेक्षण की गई जनसंख्या में सेरोप्रवलेंस 79 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 58 प्रतिशत पाया गया। केरल में 44.4 प्रतिशत, राजस्थान में 76.2 प्रतिशत और बिहार में 75.9 प्रतिशत पाया गया।
 गुजरात में यह 75.3 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 71.0 प्रतिशत, कर्नाटक में 69.8 प्रतिशत, तमिलनाडु में 69.2 प्रतिशत, ओडिशा में 68.1 प्रतिशत, पंजाब में 66.5 प्रतिशत, तेलंगाना में 63.1, असम में 50.3 और पश्चिम बंगाल में 60.9 प्रतिशत थी।
आईसीएमआर द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेरोप्रेवलेंस सर्वेक्षण के चौथे दौर के निष्कर्षों का उल्लेख करते हुए, मंत्रालय ने राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को आईसीएमआर के परामर्श से अपने-अपने क्षेत्रों में सेरोप्रवलेंस अध्ययन करने की सलाह दी है।

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