इलाज के लिए संघर्ष कर रहे स्वतंत्रता सेनानी का आश्रित परिवार
इंदौर। सरकार के बड़े-बड़े दावों को झुठलाती हुई यह कहानी है उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कायस्थ निगम परिवार के आश्रितों की. जिनके पिता ने देश को आजादी दिलाने में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया लेकिन इस महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. श्री रामनाथ गोविंददास निगम ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा इस आजाद देश में उनके ही परिवार के हालात गुलामों से भी बदतर होंगे...?
यह कहानी है उत्तर प्रदेश के जिला हमीरपुर तहसील राठ के पास एक छोटे से गांव धनोरी की. जहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. श्री रामनाथ गोविंददास निगम ने अपने देश को आजाद कराने में विशेष योगदान दिया था। स्व. श्री रामनाथ गोविंददास निगम के दो पुत्र रमेश निगम एवं सतीश निगम व 5 पुत्रियां हुई (दो कि मृत्यु हो चुकी है 3 जीवित है) सभी बच्चों की शादियां करके स्व. श्री रामनाथ गोविंददास निगम जी ने अपना पूरा जीवन इस छोटे से गांव धनोरी में व्यतीत किया। निगम जी का बड़ा बेटा रमेश निगम अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए गांव से बाहर निकल गए. रमेश निगम ने अपने दो बेटे एक बिटिया को पढ़ा कर डॉक्टर बनवा दिया। जो आज बड़े बड़े बड़े पदों पर आसीन हैं।

लेकिन उनके छोटे बेटे सतीश निगम ने अपने माता पिता स्वर्गीय श्री स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की सेवा करना अपना धर्म समझा और अपना जीवन अपने माता पिता की सेवा में समर्पित कर दिया। सतीश जी के तीन बेटी एक बेटा है पत्नी को मिर्गी के दौरे पड़ने के कारण सतीश निगम अपने रोजगार और नौकरी करने में सफल नहीं हो सके। गरीबी के अभाव में सतीश जी अपने बच्चों को पूरी शिक्षा प्रदान करने में भी सफल नहीं हो पाए... किसी तरह परिवार के सहयोग से बेटियों की शादी साधारण परिवार में हो गई। रोजगार बिना हालात दिन प्रतिदिन दर्दानी होते गए। समय ऐसा आ गया की पैतृक घर जर्जर हो गया। खाने के भी लाले पड़ने लगे। इलाज कराने के लिए भी शहर जाने के रुपए तक नहीं रहे। 
वर्तमान हालात इतने बुरे हैं की पत्नी को पूरे बदन पर इंफेक्शन फैला हुआ है। इंफेक्शन के कारण पत्नी दिन रात तड़प रही है। सतीश जी अपनी शारीरिक कमजोरी के साथ-साथ याददाश्त भी धीरे-धीरे खोती जा रही है।  कमाने वाला घर में कोई नहीं है। सतीश जी का इकलौता बेटा सौरभ निगम अपने माता पिता की रेख देख सेवा करने में लगा हुआ है। जिसके कारण वह भी गांव में रह कर कोई काम नहीं कर पा रहा है।

इस स्वाभिमानी कायस्थ निगम परिवार ने अपने सम्मान को बनाए रखने के लिए किसी से मदद की भी गुहार नहीं करी है, कई बार भूखे भी सो जाते हैं। परिवार किसी तरह से अपना गुर्जर बसर कर रहा है। इलाज के अभाव में पत्नी तड़फ रही है.. घर में दो वक्त के खाने तक का अभाव है।
समाज के ऐसे लोग, समाजसेवी संस्थाएं व सरकार को चाहिए अपने देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रितों की बीमारी के उपचार एवं बेटे के रोजगार में मदद के लिए आगे आए। एक साधरण व्यक्ति ऐसे बुरे हालात में परिवार सहित आत्महत्या कर लेता लेकिन खून तो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का है। जो यह पाप भी नहीं कर सका।
Account no.- 610290100045757
केंद्र सरकार, राज्य सरकार, समाज सेवी संस्थाएं व संबंधित जिलाधीश को चाहिए ऐसे आश्रितों की सेवा करने के लिए आगे आए।
लाला राजेश निगम (Mb. 7000465814)
News from- लाला राजेश निगम (मध्य प्रदेश, प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय पत्रकार सुरक्षा परिषद, नई दिल्ली)

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