कोरोना पर अभी काबू नहीं... WHO के चीफ वैज्ञानिक ने बताए ये 4 कारण

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि डेल्टा संस्करण का प्रसार और टीकाकरण की धीमी गति ही कारण है कि दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में COVID-19 मामलों में तेजी देखी जा रही है।
ब्लूमबर्ग के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार में, स्वामीनाथन ने कहा कि WHO के छह क्षेत्रों में से पांच में COVID-19 मामले बढ़ रहे हैं। वहीं, पिछले दो सप्ताह में अफ्रीका में मृत्यु दर में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। स्वामीनाथन ने कहा, "पिछले 24 घंटों में करीब 500,000 नए मामले सामने आए हैं और करीब 9,300 मौतें हुई हैं। इसलिए अब यह नहीं कहा जा सकता कि महामारी कम हो रही है।"
उन्होंने वायरस के फैलने के चार प्रमुख कारण बताए हैं-
1. उन्होंने पहला कारण बताया कि लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील और टीकाकरण की धीमी गति के कारण डेल्टा संस्करण फैल रहा है।
2. स्वामीनाथन ने कहा कि तेजी से फैल रहा डेल्टा संस्करण निश्चित रूप से अब तक का सबसे खतरनाक संस्करण है और यह संक्रमणों के बढ़ने का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि यदि मूल वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति तीन लोगों को संक्रमित कर सकता है, तो डेल्टा संस्करण से संक्रमित व्यक्ति लगभग 8 लोगों को संक्रमित कर सकता है।
3. उन्होंने यह भी कहा कि महामारी की थकान या मजबूरी के चलते लोग अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं। यह तीसरी लहर का एक प्रमुख कारण बन सकता है।
4. स्वामीनाथन ने कहा कि जहां कुछ देशों में टीकाकरण का स्तर गंभीर COVID-19 मामलों और अस्पताल में भर्ती होने को कम कर रहा है, वहीं दुनिया के कुछ हिस्से अभी भी ऑक्सीजन की कमी, अस्पताल के बिस्तर और उच्च मृत्यु दर से पीड़ित हैं। का सामना कर रहे हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि कोरोना अब थम गया है।
आपको बता दें कि माना जा रहा है कि कोरोना के डेल्टा वेरियंट की वजह से भारत में कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर आई। कोविड-19 का यह रूप पहली बार भारत में ही पाया गया था। इसके चलते भारत में कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है। इसके साथ ही मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण देखने को मिल रहे हैं। फिलहाल ब्रिटेन और इस्राइल में इस वैरिएंट की वजह से कोरोना के नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक इस्राइल में कोरोना के 90 फीसदी मामले इसी तरह के हैं। यह स्थिति तब है जब वहां के 50 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन मिल चुकी है।

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