तिरुवनंतपुरम। कोरोना वायरस महामारी के बीच अब जीका वायरस ने भी देश में दस्तक दे दी है केरल में गुरुवार को जीका वायरस के 13 मामले मिले। तिरुवनंतपुरम से लिए गए सैंपल्स को जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेजा गया, जहां जांच में उनकी पुष्टि हुई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जीका वायरस एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है, जो दिन में सक्रिय रहते हैं। यह पहली बार 1947 में युगांडा के बंदरों में पाया गया था। यह 1952 में युगांडा और तंजानिया में मनुष्यों में पाया गया था। जीका वायरस की उपस्थिति एशिया, अफ्रीका, अमेरिका प्रशांत द्वीप समूह में पाई गई है।
जीका वायरस के लिए ऊष्मायन अवधि 3 से 14 दिन है, और अधिकांश लोगों में कोई वास्तविक लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को बुखार, दाने, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है। जीका वायरस को गुलियन बैरी सिंड्रोम का कारण भी माना जाता है। यह नवजात शिशुओं में जन्म दोष भी पैदा करता है।
जीका वायरस 2015 में ब्राजील में व्याप्त था, जिसके कारण 1,600 से अधिक बच्चे इस विकृति के साथ पैदा हुए थे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी सबसे पहले नवंबर 2018 में जीका वायरस को आइसोलेट करने में सफल रही थी। भारत में जीका वायरस का पहला मामला जनवरी 2017 में मिला था। इसके बाद जुलाई 2017 में तमिलनाडु में भी इसके मामले पाए गए।
आप विश्वगुरु का ताजा अंक नहीं पढ़ पाए हैं तो यहां क्लिक करें
विश्वगुरु टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।