शास्त्रों में भद्रा मुक्त काल में ही राखी बांधने की परंपरा है। भद्रा मुक्त काल में राखी बांधने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस बार रक्षा बंधन पर भद्र काल नहीं है। हिन्दू पंचांग के अनुसार भद्रा को वह अशुभ काल माना जाता है जिसमें किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
इस साल चूंकि भद्रकाल नहीं है, इसलिए आप दिन भर में किसी भी समय राखी बांध सकते हैं। सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12:30 बजे तक बताया जा रहा है। वैसे राखी को आप सुबह 5 बजे से शाम 5:30 बजे के बीच कभी भी बांध सकते हैं।
रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व
राजसूय यज्ञ के समय, द्रौपदी ने अपनी गोद का एक टुकड़ा भगवान कृष्ण को सुरक्षा धागे के रूप में बांधा था। तभी से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई। ब्राह्मण अपने यजमानों को राखी बांधकर कामना करते हैं। इस दिन वेदपति ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ शुरू करते हैं। इसलिए इस दिन शिक्षा शुरू करना अच्छा माना जाता है।
रक्षाबंधन पूजा विधि
- राखी के दिन सबसे पहले सुबह स्नान करके पवित्र बन देवताओं को प्रणाम करें। इसके बाद अपने कुल के देवताओं की पूजा करें।
- फिर एक थाली लें, आप चाहें तो चांदी, पीतल, तांबे या स्टील की थाली भी ले सकते हैं। फिर इस थाली में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और दही रखें।
- सबसे पहले रक्षा सूत्र और पूजा की थाली भगवान को समर्पित करें और पहली राखी बाल गोपाल या अपने इष्ट देवता को अर्पित करें।
- इसके बाद भाई को उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके बैठाएं।
- पहले भाई को तिलक करें और कुछ अक्षत लगाएं।
- फिर राखी बांधकर आरती करें।
- इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं दें।
- ध्यान रहे रक्षासूत्र बांधते समय भाई बहन का सिर खुला नहीं होना चाहिए।
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