ज्ञान, भक्ति, वैराग्य का संगम है भागवत कथा: पं.नारायण शास्त्री
विश्वगुरु, इंदौर। बाणगंगा क्षेत्र के राजाराम नगर में आयोजित श्री मद्भागवत कथा के पांचवें दिन शनिवार को व्यास पीठ से वृंदावन से पधारे पंडित नारायण शास्त्री ने श्रोताओं को कृष्ण भक्ति से ओत-प्रोत कर दिया। उन्होंने कहा कि भागवत ज्ञान, भक्ति, वैराग्य का संगम है। श्री कृष्ण भक्ति की एक मात्र विधि है, वह है मात्र प्रेम। जैसे आप घर के सदस्यों से प्रेम करते है, समय-समय पर भोजन और सोने की चिंता करते है बस वही प्रेम ठाकुर जी से करना है और उनकी सेवा भी समय से करते रहे।
कथा व्यास पंडित नारायण शास्त्री महाराज ने भागवत कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला का वर्णन करते हुए कहा कि कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस उसको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षस पूतना को भेजता है। पूतना वेष बदलकर भगवान श्री कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है। लेकिन भगवान श्री कृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं। उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने के की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इन्द्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इन्द्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इन्द्र एक सप्ताह के बाद बारिश को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारों लगाने लगते हैं। 
कथा आयोजक श्रीमती राम कुंवर डाबी द्वारा मौके पर भगवान को छप्पन भोग लगाया गया। 
श्रद्धालुओं ने भाव-विभोर होकर कथा का श्रवण किया। श्रीमती रेखा सोलंकी ने विश्वगुरु को बताया कि 27 सितंबर को महा प्रसादी के साथ कथा की पूर्णाहुति होगी। 

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