आशाराम बापू जेल में नहीं हैं, हमारी संस्कृति की रक्षाप्रणाली जेल में है: धनंजय देसाई
विश्वगुरु, इंदौर।
भारतीय सनातन संस्कृति व हिन्दुत्व के मुद्दों पर बुलंद बोल बोलनेवाले हिन्दू राष्ट्र सेना के संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री धनंजय देसाई ने हाल ही में एक यूट्यूब चैनल के लाइव इंटरव्यू में संत आशाराम बापू के मामले को लेकर कई करारे और स्पष्ट बयान दिये हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ‘‘मैं पक्का धार्मिक हूँ। संतों का सम्मान, उनके चरणों की पूजा, संत-परम्परा की धरोहर की रक्षा... ये मेरे कुलाचार में आता है। अगर संतों की रक्षा छोड़कर मेरा कुलाचार होगा तो वास्तव में वह कुलाचार नहीं, वह भ्रष्टाचार होगा, चरित्रहीनता होगी। सनातन धर्म मेरे कुल की मर्यादा में है, मेरे रोम-रोम में है। उस सनातन धर्म के साधुओं का सम्मान किये बगैर मैं हिन्दू हो नहीं सकता। मेरे अड़ोस-पड़ोस में मेरे सनातन धर्म के संतों का अपमान व उनके साथ अन्याय हो रहा है। उनको बलात्कार जैसे मामलों में झूठा फँसाया जा रहा है। आशाराम बापू जैसे योगी महापुरुषों के चरित्र पर लांछन लगाकर आशाराम बापू को संकट में नहीं लाया गया है बल्कि भारतीय संस्कृति को, भारतीय जीवनपद्धति को, सनातन धर्म को संकट में लाया गया है ।’’ 
आशाराम बापू पर लगे आरोपों पर अचरज प्रकट करते हुए देसाई ने कहा कि ‘‘सबको पता है कि लड़की उत्तर प्रदेश की है, घटना राजस्थान की कहती है और एफ.आई.आर. दिल्ली में जा के दर्ज करवाती है। ऐसा कौन-सा केस है यह? संविधान का ही आधार लेकर संविधान का ही गला दबाने का जो षड्यंत्र कर रहे हैं ऐसे देशद्रोही उजले माथे से घूम रहे हैं। इनको मिटाने, रोकने, खत्म करने की, भारत से भगाने की क्षमता केवल भौतिक संसाधनों से अर्जित नहीं होगी, आशाराम बापू जैसे शिखर पुरुष की आध्यात्मिक उपासना से, गुरुकृपा से ही होगी ।’’ 
धनंजय देसाई ने संत आशाराम बापू को भारतीय सनातन धर्म की रक्षाप्रणाली की उपमा दी और समाज को सचेत करनेवाली भाषा में कहा कि ‘‘जैसे सीमा के ऊपर के सैनिकों को अगर कोई बेहोश कर दे अथवा उन सैनिकों को सीमा से हटाकर कैद कर ले तो सैनिक संकट में नहीं, आपकी भारत की सीमा संकट में है। ऐसे ही आशाराम बापू संकट में नहीं हैं, आपके धर्मरक्षक कारावास में डाले जाते हैं तो संकट में तो आप हैं, आपका धर्म है। वे तो हमारा चिंतन, मनन, ध्यान, धारणा, धर्म ऊपर हो इसलिए अपने शरीर की समिधा, आहुति इस भयंकर भीषण यज्ञ में देकर हमारी साधना बढ़ा रहे हैं। बापू हमें ब्रह्मचर्य सिखाते हैं, उच्च श्रेणी के वंशजों का निर्माण करने का एक उच्च कोटि का आध्यात्मिक योग सिखाते हैं, कुल की शुद्धि सिखाते हैं, हमारी आध्यात्मिक योग्यताएँ जगाते हैं। भारत को खत्म करने में लगी शक्तियों का सबसे बड़ा रोड़ा हैं बापू जैसे महापुरुष। भारत को तोड़ने की बदनीयत रखनेवाले जानते हैं कि जब तक भारत की आधारशिला उसके संतों के चरित्र पर लांछन न लगाया जाय, हिन्दू समाज अपने कुल के प्रति सशंक न हो तब तक इस भारत को खत्म नहीं किया जा सकता है।
तुर्की, अरबी, शक, हूण, मुगल, ग्रीक, पुर्तगाली, अंग्रेज... ये भारत को खत्म नहीं कर पाये तो अब इन षड्यंत्रकारियों और धर्मांतरण करनेवालों ने ठान ली है कि भारत के महात्माओं का चरित्र-हनन करना शुरू कर दो। उनके बारे में हिन्दुओं के मन में प्रश्नचिह्न खड़े कर दो। बस, इसीके चलते बापूजी का चरित्र-हनन करने का प्रयास हुआ है। 
वास्तव में आध्यात्मिक स्तर पर आशाराम बापू योगपुरुष हैं। ऐसे महात्माओं के ऊपर लांछन लगाकर धर्म को लक्ष्य किया जा रहा है।
इंटरव्यू के अंत में आह्वान करते हुए उन्होंने कहा - ‘‘मैं सभी भारतीयों से कहता हूँ कि यह सब सहते हुए आशाराम बापू को 8-9 साल हो गये, अब जागृत हो जाओ। किसान आंदोलन अगर केन्द्र को झुका सकता है तो असली हिन्दुत्व भारत में धर्मराष्ट्र क्यों नहीं ला सकता है! भारत को पूर्ण तेज से जागृत करनेवाले आशारामजी बापू के चरणों में हम क्षमाप्रार्थी हैं कि उनको इतना भुगतना पड़ा है। यह हमारी नपुंसकता है,  हमारा अपयश है। बापू जेल के अंदर नहीं हैं, हमारे कुल की, धर्म की, राष्ट्र की सुरक्षा की रक्षाप्रणाली अंदर है। उनको छुड़वाना उनका काम नहीं है, हमारे कुल का दायित्व है। 
आशाराम बापू की लड़ाई बापू की है ही नहीं। न ही मैं आशाराम बापूजी के बारे में बोल रहा हूँ। मैं तो बापू के नाम के माध्यम से मेरे कुल के उद्धार के बारे में बोल रहा हूँ, मेरे रक्त की शुद्धि के बारे में बोल रहा हूँ, मेरी धरोहर, मेरी परम्परा और मेरे पुरखों की पुण्याई के बारे में बोल रहा हूँ।’’

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