पंचायत चुनाव की घोषणा से लेकर पाबंदी तक की पूरी कहानी!
इंदौर। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर ओबीसी आरक्षण को लेकर काफी विवाद हुआ था
 मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी सीटों पर चुनाव पर रोक लगा दी हालांकि इसके बाद भी चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही कि चुनाव रुकेगा या नहीं! हालांकि, अब पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी गई है और चुनाव आयोग जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा कर सकता है। हालांकि इस पूरे मसले पर अभी भी कई सवाल हैं, जिन्हें लेकर लोगों के मन में सवाल हैं, इसलिए इस पूरे मामले को विश्वगुरु ने आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है

सरकार ने रद्द किया 2019 का परिसीमन
21 नवंबर 2021 को शिवराज सरकार ने पंचायत राज और ग्राम स्वराज अध्यादेश 2021 को मंजूरी दी थी। जिसके तहत सरकार ने वर्ष 2019 के परिसीमन को रद्द करते हुए 2014 के परिसीमन के आधार पर पंचायत चुनाव कराने का फैसला किया। आरक्षण व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं इस पर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पंचायत चुनाव में रोटेशन सिस्टम का पालन नहीं किया जा रहा है 
जिसके खिलाफ कांग्रेस हाईकोर्ट पहुंची। हालांकि हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जिस पर कांग्रेस नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद रोटेशन के बजाय आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को फटकार लगाई और ओबीसी सीटों पर चुनाव पर रोक लगा दी

यह है मप्र में आरक्षण की मौजूदा स्थिति
बता दें कि मप्र में एसटी वर्ग के लिए 20 फीसदी, एससी वर्ग के लिए 16 फीसदी और ओबीसी वर्ग के लिए 14 फीसदी सीटें आरक्षित हैं, लेकिन राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव में 27 फीसदी सीटें ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित की थीं जिससे कुल आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गई थी। यही वजह थी कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी सीटों पर चुनाव पर रोक लगा दी थी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में महाराष्ट्र मामले में अपने आदेश का हवाला दिया। जिसके तहत आरक्षण देने से पहले ट्रिपल टेस्ट की तीनों शर्तों को पूरा करना जरूरी है। इन शर्तों के तहत राज्य में एक ओबीसी आयोग का गठन किया जाना चाहिए। आयोग को राज्य में पिछड़े वर्गों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का अध्ययन करना चाहिए और उसके आधार पर आरक्षण की सीमा तय करनी चाहिए। साथ ही कुल आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए
इसके बाद सरकार और विपक्ष ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके तहत ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत चुनाव कराने की बात कही गई और इसे सर्वसम्मति से पारित भी कर दिया गया
अब सरकार कानूनी विशेषज्ञों की सलाह ले रही है। इसके साथ ही राज्य में ओबीसी वर्ग का डाटा भी ट्रिपल टेस्ट के नियमों को पूरा करने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार अन्य राज्यों में ट्रिपल टेस्ट की स्थिति की भी समीक्षा कर रही है।
इस बीच, राज्य में ओमिक्रॉन की दस्तक और कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ, चुनाव पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। यह मांग खुद शिवराज सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने की। जिसके बाद सरकार ने रविवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पंचायत चुनाव पर रोक लगाने का प्रस्ताव पारित किया यह प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा गया था। राज्यपाल ने भी प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है और अब चुनाव आयोग चुनाव पर प्रतिबंध की आधिकारिक घोषणा करेगा

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