दरअसल पंचायत चुनाव के माहौल में ग्रामीण इलाकों में नजारा कुछ और ही है। सरपंच चुनाव के लिए प्रत्याशी बैठक कर चर्चा कर रहे हैं कि उनका प्रत्याशी कितनी बोलियां लाएगा। बाहुबली होंगे गांव के सरपंच। इस बाहुबल को रुपये में नापा जा रहा है।
52 लाख रुपए की बोली तोड़ी
दतिया से सटे गांव के सरपंच के लिए 52 लाख रुपये की बोली तोड़ी गई जिसकी पुष्टि ग्रामीणों ने की। इसी तरह एक दर्जन गांवों के नाम सामने आए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे अनावश्यक खर्च रोक रहे हैं। भाई सर्वसम्मति की प्राचीन परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। उनका चुनाव आयोग से कोई लेना-देना नहीं है। प्रत्याशी से प्राप्त राशि से गांव का विकास करेंगे।
चुनाव आयोग का डर नहीं
ग्रामीणों की इन बातों से लगता है कि उन्हें चुनाव आयोग का कोई डर नहीं है। वह सार्वजनिक रूप से चुनाव आयोग और प्रशासन की अवहेलना कर रहे हैं। कई ग्रामीणों का कहना है कि विकास के आधार पर चुनाव होंगे।
ग्रामीणों की इन बातों से लगता है कि उन्हें चुनाव आयोग का कोई डर नहीं है। वह सार्वजनिक रूप से चुनाव आयोग और प्रशासन की अवहेलना कर रहे हैं। कई ग्रामीणों का कहना है कि विकास के आधार पर चुनाव होंगे।
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