सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से मध्य प्रदेश पंचायत राज और ग्राम स्वराज अधिनियम में संशोधन कर 2019 में परिसीमन रद्द कर दिया है। साथ ही पिछले चुनाव में मिले आरक्षण के आधार पर चुनाव हो रहे हैं। इस पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, लेकिन फिलहाल याचिकाकर्ताओं को कहीं से राहत नहीं मिली है।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई को देखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 14 दिसंबर को बुलाई गई बैठक को 18 दिसंबर तक बढ़ा दिया था। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अभी तक सुनवाई के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है, इसलिए आरक्षण तय करने की कार्रवाई की जाएगी। नामांकन पत्र जमा करना भी जारी रहेगा और 21 दिसंबर को उनकी जांच की जाएगी।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई को देखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 14 दिसंबर को बुलाई गई बैठक को 18 दिसंबर तक बढ़ा दिया था। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अभी तक सुनवाई के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है, इसलिए आरक्षण तय करने की कार्रवाई की जाएगी। नामांकन पत्र जमा करना भी जारी रहेगा और 21 दिसंबर को उनकी जांच की जाएगी।
23 दिसंबर को नामांकन की समय सीमा पूरी होने के बाद उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह का आवंटन भी किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर पहले चरण के लिए छह जनवरी और दूसरे चरण के लिए निर्धारित स्थानों पर 28 जनवरी को मतदान होगा। याचिकाकर्ता सैदर जाफर ने कहा कि याचिका को हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। सुनवाई के लिए 21 दिसंबर की तारीख तय की गई है।
उधर, मौजूदा हालात को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। गुरुवार को राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठक हुई। इसमें यह निर्णय लिया गया कि पहले और दूसरे चरण में जिन पंचायतों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें जिला कांग्रेस पदाधिकारी पार्टी की विचारधारा वाले लोगों के नामांकन पत्र जमा करें। 19 दिसंबर को कमेटी की बैठक के बाद चुनाव को लेकर अगली कार्ययोजना बनाई जाए।
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