सुहाना होगी रेल यात्रियों की यात्रा, फिर मिलने लगेंगे कंबल, तकिए और चादर
इंदौर। 
रेलवे की ओर से गुरुवार को रेल यात्रियों के लिए एक बड़ी राहत का ऐलान किया गया है यात्रियों को राहत देते हुए भारतीय रेलवे ने ट्रेनों के अंदर बेडशीट, कंबल और पर्दे उपलब्ध कराने की सेवा फिर से शुरू करने के आदेश जारी किए हैं कोरोना काल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव के कारण इन सुविधाओं को निलंबित कर दिया गया था।
रेलवे बोर्ड ने सभी रेलवे जोन के महाप्रबंधकों को जारी आदेश में कहा कि इन वस्तुओं की आपूर्ति तत्काल प्रभाव से फिर से शुरू की जाए सीलबंद कवर में तकिए, कंबल, चादरें और तौलिये शामिल होंगे। इससे पहले भोजन समेत कई सुविधाएं फिर से शुरू की जा चुकी हैं।
रेलवे, जिसने खाद्य सेवाओं और ट्रेनों में टिकट पर अपनी अधिकांश रियायतों को भी निलंबित कर दिया था, ने इनमें से अधिकांश सुविधाओं को फिर से शुरू कर दिया है। हालांकि, यात्रियों के लिए टिकट पर रियायतें निलंबित हैं।
गौरतलब है कि कोरोना को फैलने से रोकने के प्रयास में रेलवे ने मई 2020 में घोषणा की थी कि वह सभी ट्रेनों के वातानुकूलित डिब्बों में कंबल और पर्दे नहीं बांटेगा यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे लंबी यात्रा पर अपना कंबल और चादरें खुद लेकर आएं। साथ ही निर्देश दिया गया कि ट्रेन के डिब्बों में न्यूनतम तापमान 24-25 डिग्री सेल्सियस तय किया जाए
कंबल व चादर नहीं मिलने के कारण लोग इसकी लंबे समय से मांग कर रहे थे। ये सुविधाएं नहीं मिलने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था कई ऐसे लोग भी थे, जो ट्रेन में ये सारी सुविधाएं न मिलने के कारण हवाई जहाज से यात्रा करने को तरजीह देने लगे वहीं, ट्रेन और विमान के एसी के किराए में ज्यादा अंतर नहीं है।
 
क्या सुविधाएं बहाल की गई हैं
रेलवे ने सबसे पहले विशेष ट्रेनों के नाम पर महत्वपूर्ण ट्रेनों की सुविधा बहाल की। उसके बाद इन ट्रेनों में पेंट्री कार की सुविधा शुरू की गई, ताकि लोगों को आसानी से ट्रेन में पका खाना उपलब्ध कराया जा सके यानी चाय-कॉफी से लेकर अब हर तरह का खाना ट्रेन में ही बनाया और बेचा जा रहा है पहले लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए केवल रेडी टू ईट भोजन ही उपलब्ध था।
 
ट्रेन के एसी क्लास में पहले क्या मिलता था?
अगर कोरोना काल से पहले की बात करें तो एसी क्लास में ट्रेन में सफर करने पर बेड रोल फ्री में मिलते थे। गरीब रथ ट्रेन में इसके लिए मामूली शुल्क (25 रुपये) देना पड़ता था। एक बेड रोल में दो चादरें, एक तकिया, एक कंबल और एक छोटा तौलिया होता था। कोरोना काल में जब ट्रेन की सुविधा दोबारा शुरू की गई तो बेड रोल बंद कर दिए गए। उस वक्त रेलवे ने कहा था कि बेड रोल से कोरोना संक्रमण फैल सकता है