शिव की नौकरी करने से तर जाता जीवन -पंडित प्रदीप मिश्रा
इंदौर।
यदि जीवन में कभी नौकरी ना हो कोई काम न हो तो शिव मंदिर में जाकर झाड़ू पोछा लगाएं, शिव की चाकरी करें इससे जीवन में उन्नति के साथ जीवन तर जाता है। उक्त बात अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप जी मिश्रा ने कही। पंडित मिश्रा जी के श्रीमुख से चल रहे 
श्री श्रावण शिवरात्रि शिवमहापुराण कथा के सातवे दिन भी श्रद्धालुओं की भीड़ अन्नपूर्णा रोड के विशाल नगर पंडाल में उमड़ पड़ी। पंडित मिश्रा द्वारा महादेव की महिमा के साथ ही उन्हें प्रसन्न करने के उपाय भी श्रद्धालुओं को बताए।

जहां देखो वहां भक्त
शहर में पहली बार ऐसी कथा हुई कि लाखों की संख्या में भक्तों ने कथा सुनी। विशाल नगर में आयोजित शिवमहापुराण में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर कथा का आनंद ले रहे थे। जिसका शनिवार को समापन हो गया। संस्था लक्ष्य द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा का आयोजन 24 जुलाई से 30 जुलाई तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक किया गया। आयोजक भरत पटवारी के मुताबिक कुल ढ़ाई लाख श्रद्धालु ने इस कथा का आनंद लिया।

शिवमहापुराण के सातवें दिन भी उमड़ पड़ा सैलाब 
विशाल नगर मैदान अन्नपूर्णा रोड पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा की शिवमहापुराण में जनसमूह उमड़ पड़ा। यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर कथा का आनंद लिया। वहीं पंडित मिश्रा ने कथा के दौरान ही भक्तों को समस्याओं दुख तकलीफ से निवारण के उपाय भी बताए। जिसमें संकटों को दूर करने और मनोकामना को पूरा करने के तरीके शामिल हैं। वहीं श्रद्धालु भी उनके द्वारा बताए गए उपायों को करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
पूजा में न करे संकोच
आयोजक भरत पटवारी ने बताया कि पंडित प्रदीप मिश्रा कथा के दौरान उपाय भी बताया साथ ही बिल्वपत्र आदि के माध्यम से भक्तों को विभिन्न समस्याओं के निवारण के बारे में बताया। कथा में पंडित मिश्रा ने कहा कि सिर पर तिलक लगाने व हाथ में जल का कलश लेकर मंदिर जाने में शर्म कैसी। लोगों का काम है हंसना, लेकिन हमारा काम है भोले की भक्ति में मग्न हो जाना। हमें तो शिव की आराधना से मतलब है। वो सब देख रहा है। इसके साथ ही कथा में भक्तों को सावन मास में शिव की पूजा-अर्चना करने के कई उपाय व पूजा पद्धति बताई। कथा के समापन अवसर पर विधायक जीतू पटवारी ने सभी का आभार माना। 

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