जनता का 'फ्री रेवड़ी' को ठेंगा, 'लक्ष्मीपुत्र' मेयर प्रत्याशी की हार
इंदौर। मध्य प्रदेश शहरी निकाय चुनाव के पहले चरण के नतीजे घोषित हो गए हैं जनता ने राज्य के सबसे अमीर उम्मीदवार को मेयर के रूप में चुनने से इनकार कर दिया है। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के नगर निगम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव ने देश के सबसे स्वच्छ शहर के नगर निगम चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी और कांग्रेस के सबसे अमीर प्रत्याशी कांग्रेस के संजय शुक्ला को करीब 1.33 लाख मतों से हराया इस पद पर भाजपा के दो दशक। पुराना कब्जा बरकरार रखा। जीवन में पहली बार राजनीतिक चुनाव लड़ने वाले भार्गव को 5,92,519 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के मौजूदा विधायक शुक्ला को 4,59,562 वोटों से संतोष करना पड़ा
अधिकारियों ने बताया कि केवल 12वीं कक्षा तक पढ़ने वाले शुक्ला ने चुनावी हलफनामे में अपनी और अपनी पत्नी की कुल 170 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी और राज्य के 16 नगरपालिका चुनावों में मेयर उम्मीदवारों में सबसे अमीर थे। चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर खुद को 'लक्ष्मीपुत्र' बताने वाले शुक्ला ने मतदाताओं से वादा किया था कि अगर वह राज्य के सबसे बड़े शहर इंदौर के मेयर बनते हैं, तो वह "अपनी जेब से" पांच ओवरब्रिज बनाएंगे और COVID-19 रोगी के लिए 20,000-20,000 रुपये आर्थिक सहायता प्रदान करेंगे।

शिवराज ने शुक्ला को बताया 'धन का पुजारी'
दूसरी ओर, भाजपा उम्मीदवार पुष्यमित्र भार्गव ने चुनावी घोषणा पत्र में अपनी और अपनी पत्नी की कुल संपत्ति 2.31 करोड़ रुपये घोषित की थी। भार्गव के पास एलएलएम और अन्य शैक्षणिक डिग्री हैं। 18 जून को भार्गव की नामांकन रैली में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इशारों-इशारों में शुक्ला पर निशाना साधते हुए इंदौर नगर निगम चुनाव को 'धन के पुजारियों' और 'ज्ञान के पुजारियों' के बीच की लड़ाई करार दिया था

भार्गव एबीवीपी से जुड़े रहे हैं
गौरतलब है कि इंदौर में भाजपा ने महापौर पद के लिए भार्गव के रूप में एक नए चेहरे पर जोखिम उठाकर दांव लगाया था। पद के लिए भाजपा उम्मीदवार के रूप में अपने नाम की आधिकारिक घोषणा से ठीक दो घंटे पहले, भार्गव ने अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया था और चुनावी राजनीति में अपना पहला कदम रखा था। भार्गव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं।

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