वो पांच चीजें, जिनकी वजह से इंदौर ने सफाई में लगाया छक्का!
इंदौर ने लगातार छठी बार स्वच्छता रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव, आयुक्त पवन कुमार शर्मा, 25 सफाई कर्मियों की टीम शनिवार सुबह दिल्ली के लिए रवाना हुई। शाम चार बजे से आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में स्वच्छता रैंकिंग के नतीजे घोषित किए जाएंगे। इंदौर को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इंदौर पहले स्थान पर आया है।

14 स्थानों पर सीधा प्रसारण
पुरस्कार समारोह में पहली बार नगर निगम के सीएसआई, इंस्पेक्टर और सफाई मित्र भी हिस्सा ले रहे हैं। 25 लोगों की टीम सुबह फ्लाइट से रवाना हुई। इससे पहले सफाई मित्र अवॉर्ड लेने गए थे। इस बार सीएसआई और इंस्पेक्टर भी शामिल हैं, जिनकी कड़ी निगरानी और समर्पण ने इसे संभव बनाया। पुरस्कार समारोह का शहर में 14 जगहों पर सीधा प्रसारण होगा। राजबारा, पलासिया, मालवा मिल चौक, मेघदूत, खजराना मंदिर, रंजीत हनुमान, बड़ा गणपति, भंवरकुआं, रीगल, मारीमाता, रैडिसन स्क्वायर, परदेशीपुरा, 56 दुकानें, निगम परिसर में एलईडी लगाई गई है. गरबा पंडालों में शनिवार को सफाई मित्रों के सम्मान में स्वच्छता गीत पर गरबा होगा.

इन पांच कारणों से इंदौर को मिली जीत
  1. डोर टू डोर कलेक्शन : शहर में एक भी कूड़ाघर नहीं है। 1500 वाहनों के नेटवर्क के कारण घरों से कूड़ा सीधे हटाकर कचरा ट्रांसफर स्टेशनों पर पहुंच जाता है। अन्य शहर अभी तक इस काम का शत-प्रतिशत काम नहीं कर पाए हैं। कई शहरों में कूड़े के ढेर नजर आ रहे हैं।
  2. अपशिष्ट पृथक्करण: घरों से वाहनों तक पहुंचने वाले कचरे को अलग किया जाता है। गीले, सूखे, प्लास्टिक, सैनिटरी कचरे के अलावा, बिजली और घरेलू हानिकारक कचरे को अलग-अलग बॉक्स में रखा जाता है। मिश्रित कचरा अभी भी दूसरे शहरों में आ रहा है।
  3. सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट: तीन साल में नदियों और नालों के किनारे सात सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए। सीवरेज के ट्रीटेड पानी के उपयोग के लिए टंकियों का निर्माण किया गया। डेढ़ सौ बगीचों में उपचारित पानी की पाइप लाइन डाली जाती है।
  4. कचरे से कमाई: नगर निगम को सूखा कचरा पृथक्करण संयंत्र से 1.53 करोड़ रुपये सालाना, गीले कचरे के बायो-सीएनजी संयंत्र से 2.53 करोड़ रुपये सालाना की कमाई हो रही है। बायो-सीएनजी प्लांट से बाजार भाव से पांच रुपये कम दाम पर सीएनजी गैस मिलने से साल में डेढ़ से दो करोड़ रुपये की बचत हो रही है। गाद से खाद बनाने का कार्य भी किया जा रहा है।
  5. 3R मॉडल: निगम ने शहर में रीसायकल, रीयूज और रिड्यूस मॉडल को लागू किया। एक हजार से अधिक बेकलन में सीमेंट, सफाई व पेंटिंग बनाई गई। अपशिष्ट पदार्थों से कलाकृतियाँ बनाई जाती थीं। शहर में 3आर मॉडल पर गार्डन बनाए गए। निवासियों को गीले कचरे से खाद बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
हर बार स्वच्छता में नवाचार
  • 10 से ज्यादा चौराहों पर फव्वारे लगाए गए हैं, जो हवा में उड़ने वाले धूल के कणों को सोख लेते हैं। चौराहों का लेफ्ट-टर्न चौड़ा, सेंट्रल डिवाइडर बनाया गया। उन पर पौधरोपण किया गया है।
  • प्लास्टिक के प्रयोग को कम करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। कपड़े की थैलियों के उपयोग पर जोर दिया गया।
  • पहले 800 किलो सिंगल यूज प्लास्टिक सूखे कचरे में रोज आता था। अब सिर्फ 200 से 300 किलो ट्रेंचिंग ग्राउंड ही पहुंच रहा है।
  • वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सिग्नल बंद होने पर वाहनों के इंजन को रोकने के लिए अभियान चलाया गया। मशीनों से सड़कों की सफाई और धुलाई की जाती है, ताकि धूल के कण सड़कों पर न रहें।

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