नए साल से सेक्टर पर मंदी का खतरा! लेकिन भारत को लेकर आई यह अच्छी खबर
इंदौर। दुनिया भर के लोग नए साल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन आने वाले 12 महीने दुनिया के लिए चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं। दरअसल, सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस स्टडीज (सीबीआर) की फाइल के मुताबिक, 2023 में सेक्टर को मंदी का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक आसमान छूती महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनिया भर के इम्पेरेटिव बैंक ब्याज दरों में तेजी लाएंगे। इससे बाजार की मांग कम होगी। यह पूरे विश्व को मंदी की चपेट में धकेलने का काम करेगा। वहीं, भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि भारत को मौद्रिक महाशक्ति बनाने से कोई नहीं रोक सकता। सीईबीआर ने अपने दस्तावेज में कहा है कि भारत की तेजी की रफ्तार को कम करना काफी मुश्किल है। वर्ष 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के वास्तव में 10 लाख करोड़ डॉलर होने का अनुमान है। वहीं, साल 2037 तक 1/3 प्रमुख आर्थिक व्यवस्था बनने की उम्मीद है।

भारत तीसरे स्थान पर पहुंचेगा
CEBR के अनुरूप, भारत वैश्विक वित्तीय प्रणाली रैंकिंग में 5वीं भूमिका से 0.33 तक प्रवाहित होगा। अगले पांच वर्षों में भारत की जीडीपी की वार्षिक वृद्धि दर औसतन 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिसके बाद अगले नौ वर्षों में उछाल दर 6.5 प्रतिशत होने की उम्मीद है। CEBR दस्तावेज़ के अनुसार, 2022 में भारत की अनुमानित PPP- प्रकाशित GDP पुरुष या महिला के अनुसार $ 8,293 है, जो इसे अमेरिका के निम्न मध्यम-आय वाले संयुक्त राज्य के रूप में वर्गीकृत करता है। यूनाइटेड किंगडम-आधारित कंसल्टेंसी ने सलाह दी है कि मूल शुल्क में वृद्धि और अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट के बावजूद मौजूदा वित्तीय वर्ष में वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पीपीपी जीडीपी सकल घरेलू उत्पाद है, जो क्रय शक्ति समानता शुल्क के उपयोग से अंतरराष्ट्रीय रुपये में परिवर्तित हो जाता है। संस्थान ने इसी तरह कहा कि भले ही कृषि भारत के अधिकांश श्रम बाजारों को रोजगार देती है, लेकिन यह एक प्रदाता क्षेत्र है, जो हमारी मौद्रिक गतिविधियों का संचालन करता है।

दुनिया की जीडीपी दोगुनी हो जाएगी
फाइल के मुताबिक साल 2037 तक दुनिया की जीडीपी दोगुनी हो जाएगी। यह कई विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था के भीतर विकास के कारण प्रकट हो सकता है। पूर्वी एशिया और प्रशांत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के भीतर वैश्विक आउटपुट के कई -1/3 योगदान देंगे, जबकि यूरोप का अनुपात पांचवें से बहुत कम हो सकता है। हालाँकि, बाद के 12 महीनों में वैश्विक आर्थिक प्रणाली को झटका लगेगा। रिकॉर्ड के मुताबिक, 2022 में पहली बार वैश्विक अर्थव्यवस्था सौ डॉलर के पार गई है।

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