रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के दौरान भारत ने भारतीयों को सुरक्षित निकालने का काम किया। कोविड पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश के तमाम नेताओं को फोन कर भारत की जनता का ख्याल रखने को कहा। हमारी भारतीय आबादी 135 करोड़ नहीं बल्कि 138 करोड़ है। इसमें 3 करोड़ प्रवासी भारतीयों ने भाग लिया। इस तरह विदेशों से आए हमारे भारतीयों ने दुनिया में नाम रोशन किया। प्रवासी भारतीय सम्मेलन का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया। हर कोई अपनी जमीन और अपने देश से जाना जाता है। धर्म, इतिहास, अध्यात्म और आधुनिकता के संगम की नगरी अहिल्या की मातृभूमि में आपका स्वागत है।
सीएम ने दिया संबोधन
तत्पश्चात कार्यक्रम में द्वितीय वक्ता के रूप में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रवासी भारतीय सम्मेलन में उपस्थित लोगों का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि मंच पर तीन राष्ट्र के राष्ट्रपति उपस्थित हैं। आप सभी को इंदौर और मामा का प्रणाम तीन दिन आनंद, उत्सव और उमंग के रहे। उसने कहा कि तीन दिन कैसे बीत गए पता ही नहीं चला। मेरा दिल भावनाओं से भरा है, खुशियों से भरा है और दुख से भी भरा है। उधर, मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि तीन दिन के सम्मेलन के बाद जब आप निकलेंगे तो रजवाड़ा समेत इंदौर के 56 दुकानें, सराफा सूना बहुत याद आयेगा। यह कहते हुए मेरा दिल टूट रहा है, लेकिन अलविदा कहने का समय करीब आ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम मोदी की लोकप्रियता ऐसी है कि कमरा छोटा हो गया है। मैं फिर से हाथ जोड़कर क्षमा मांगता हूं। विदेशों में भारतीय छात्रों के लिए हेल्पडेस्क बनाएं हमने फ्रेंड्स ऑफ एमपी पोर्टल बनाया है। आज एमपी लोकल फूड बास्केट है। गेहूं के उत्पादन में हमने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है।
भारत में जब हम कोई समारोह मनाते हैं तो हम बेटियों की पूजा करते हैं। सीएम ने कहा कि विश्व का कल्याण तभी होगा जब पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। इसलिए हमने आपको अंतर्राष्ट्रीय उद्यान के नीचे एक पेड़ लगाने को कहा, जो आपको एक क्यूआर कोड के साथ दिया जाता है। भारत का मंत्र है कि धर्म की जीत होगी और अन्याय का नाश होगा। उन्होंने विश्व के हितों के साथ ही भारत और मध्यप्रदेश में निवेश की बात भी अतिथियों से कही। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले 27 प्रवासी भारतीयों को राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा सम्मानित किया गया। इसके बाद राष्ट्रपति के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाई।
राष्ट्रपति का भाषण
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि आने वाले 25 वर्ष भारत के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भारत निरंतर विश्व गुरु बनने की महत्वाकांक्षी यात्रा पर है। वर्ष 2047 में जब हमारा देश आजादी की शताब्दी मना रहा होगा, तब तक हमारा देश आत्म-निर्भर और विश्व गुरु बन चुका होगा। भारत की विकास यात्रा में पूरी दुनिया के कोने-कोने में बसे प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका है।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत का संकल्प है कि विश्व में सभी का समान और न्यायोचित विकास हो। हमारा दर्शन वसुधैव कुटुंबकम का है। सारा विश्व हमारे लिए एक परिवार है। प्रवासी भारतीय, भारत के विकास के विश्वसनीय भागीदार है। हम आपको पूरी तरह भागीदार बनाना चाहते हैं। आपकी सामूहिक ताकत, इनोवेटिव आइडियाज, तकनीकी दक्षता, क्षमता भारत को आत्म-निर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर इंदौर में तीन दिवसीय 17 वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन दिवस का समापन किया। उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए 27 प्रवासी भारतीयों को प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार प्रदान किए। कार्यक्रम में गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली और सूरीनाम के राष्ट्रपति श्री चंद्रिका प्रसाद संतोखी विशेष रूप से शामिल हुए। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल भी उपस्थित थे।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि विश्व में प्रवासी भारतीयों का विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने अपने समर्पण और कड़ी मेहनत से कला, साहित्य, राजनीति, खेल, व्यापार, लोक कल्याण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि हर क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की है। आप की उपलब्धियाँ हमारे लिए गर्व और प्रसन्नता का विषय है।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि प्रवासी भारतीय सम्मान प्रवासी भारतीयों को दिए जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान है। यह उनके भारत और अन्य देशों के लिए किए गए कार्यों और योगदान को प्रदर्शित करता है। विश्व में भारत का झंडा ऊँचा करने के लिए आप सब बधाई के पात्र हैं।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि गत दो दशक में प्रवासी भारतीय सम्मेलन ने भारत की तरक्की में अहम भूमिका निभाई है। यह सरकार और प्रवासी भारतीय के बीच संवाद और सहयोग का महत्वपूर्ण मंच बन गया है। कोरोना के कारण 2 वर्ष पहले यह सम्मेलन वर्चुअली आयोजित किया गया था। आज आप सभी से मिल कर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। यह सम्मेलन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 9 जनवरी 1915 को अफ्रीका से भारत लौटने की गौरवमयी याद में मनाया जाता है।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि भारत सरकार प्रवासी भारतीयों के कल्याण के लिए हर संभव कार्य कर रही है। उन्हें सहायता और सहयोग देने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया गया है। ऑपरेशन गंगा के माध्यम से यूक्रेन से भारतीय विद्यार्थियों को सम्मान पूर्वक वापस लाया गया।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि प्रवासी भारतीय सम्मेलन के सभी सत्र अत्यंत महत्वपूर्ण रहे हैं। इनमें प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में तरक्की के रास्ते खुलेंगे। सम्मेलन में विशेष रूप से महिला उद्यमियों की भागीदारी महत्वपूर्ण रही है। यह हमारी अर्थ-व्यवस्था को मजबूत करेगी। सम्मेलन में युवा प्रवासी भारतीयों की भूमिका भी सराहनीय है। वे नई तकनीकी के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। विश्व के समक्ष वर्तमान समय में आ रही आर्थिक और अन्य चुनौतियों का भी हल निकलेगा। सभी देशों के साथ भारत के बेहतर संबंध बनेंगे।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि इस वर्ष भारत को जी-20 की अध्यक्षता करने का गौरव प्राप्त हुआ है। इसकी थीम "एक धरती, एक परिवार और एक भविष्य" हमारी वैश्विक परिवार की परिकल्पना पर आधारित है। भारत पूरे विश्व में सबके लिए समान विकास के द्वार खोलेगा।
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