इंदौर सहित इन जिलों में कांपी धरती, घरों से बाहर निकले लोग
इंदौर। रविवार को इंदौर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसके अलावा धार-अलीराजपुर में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.0 मापी गई। भूकंप की गहराई दस किलोमीटर थी। इंदौर से सटे इलाकों में हल्के झटके महसूस किए गए, हालांकि इंदौर में आए झटकों से जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ है नर्मदा-सोन घाटी को भूकंप की दृष्टि से लिनिमेंट फॉल्ट जोन माना जाता है। यह इलाका भुरूच से जबलपुर तक चलता है। इंदौर नर्मदा घाटी से 70 किमी दूर स्थित है, इसलिए इंदौर को जोन 3 में शामिल किया गया है। उज्जैन की ओर का शहरी भाग जोन 2 के अंतर्गत आता है।
नर्मदा घाटी में बना बांध 6.8 तीव्रता का भूकंप झेल सकता है
नर्मदा घाटी को भूकंपीय भ्रंश क्षेत्र में शामिल किया गया है क्योंकि यह पहाड़ों से घिरी हुई है और घाटी में ढलान है। इससे पहले भी जबलपुर में भूकंप आया था। यह भी इसी जोन में शामिल है। नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी के पूर्व इंजीनियर मुकेश चौहान के अनुसार, मध्य प्रदेश में कई बड़े बांध नर्मदा घाटी में बने हैं, लेकिन 6.8 तीव्रता के भूकंप का सामना करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। नर्मदा घाटी में बनी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भी एक बड़े भूकंप का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया था। कुछ साल पहले जबलपुर में आए भूकंप के बाद नर्मदा नदी पर बन रहे बांधों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इंदौर को जोन तीन में रखा गया है जबकि हिमालय के आसपास के इलाकों को जोन पांच में शामिल किया गया है। 

2001 में झटके महसूस किए गए थे
वर्ष 2001 में 26 जनवरी को कच्छ में भूकंप आया था। तभी इंदौर के लोगों ने सुबह झटके महसूस हुए थे। इसके बाद सराफा क्षेत्र की दुकानों के कांटे भी हिलने लगे। इससे पहले लातूर में भूकंप आने के बाद भी इंदौर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे उस रात इंदौर की सड़कों पर झांकियां निकली थी और हजारों लोग सड़कों पर थे।

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