वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश किया नया आयकर विधेयक, जानें क्या बदलेगा
नई दिल्ली:
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया और इसे संसद की प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया। विपक्षी दलों ने विधेयक के पेश होने पर विरोध जताया, लेकिन सदन ने ध्वनि मत से इसे स्वीकृति दे दी।

विधेयक के प्रमुख सुधार और उद्देश्य
इस बहुप्रतीक्षित विधेयक का उद्देश्य मौजूदा आयकर कानून को सरल और प्रभावी बनाना है। इसके तहत:
  • "कर निर्धारण वर्ष" और "पूर्व वर्ष" जैसे जटिल शब्दों की जगह "कर वर्ष" शब्द का उपयोग किया जाएगा।
  • अनावश्यक प्रावधानों और अस्पष्ट कानूनी भाषा को हटाया जाएगा, जिससे करदाताओं के लिए इसे समझना आसान होगा।
  • वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 की तुलना में अधिक संगठित और आधुनिक कर व्यवस्था लागू होगी।
सीतारमण ने बजट भाषण में किया था ऐलान
वित्त मंत्री सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को बजट भाषण के दौरान नए आयकर कानून की घोषणा की थी। इस विधेयक को पहले ही केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।
नए विधेयक की मुख्य विशेषताएं:
  • इसमें 536 धाराएं और 23 अध्याय शामिल हैं।
  • विधेयक 622 पृष्ठों का है, जो वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 के मुकाबले अधिक संक्षिप्त है।
  • 14 अनुसूचियों की संख्या बढ़ाकर 16 कर दी गई है।
छह दशक पुराने कानून की जगह लेगा नया विधेयक
आयकर विधेयक, 2025 को लागू करने के बाद 1961 के आयकर अधिनियम को निरस्त कर दिया जाएगा। मौजूदा कानून कई संशोधनों के कारण जटिल हो चुका है, जिससे इसे करदाताओं के लिए समझना मुश्किल हो जाता है।
इस नए विधेयक में:
  • "पिछले वर्ष" (FY) की अवधारणा समाप्त कर "कर वर्ष" लागू किया गया है।
  • "मूल्यांकन वर्ष" (AY) की अवधारणा पूरी तरह हटा दी गई है, जिससे कर प्रक्रिया अधिक स्पष्ट और आसान होगी।
  • कर भुगतान प्रक्रिया सरल होगी, क्योंकि अब आय अर्जित करने और कर भुगतान के लिए अलग-अलग वर्षों की गणना नहीं करनी होगी।
सरलीकृत कर प्रणाली की ओर बड़ा कदम
वर्तमान में, किसी भी वित्त वर्ष में अर्जित आय के लिए कर अगले निर्धारण वर्ष में अदा किया जाता है। नए विधेयक में इस प्रक्रिया को आसान बनाते हुए "कर वर्ष" की अवधारणा को अपनाया गया है, जिससे करदाताओं के लिए अनुपालन सरल होगा।

पुराने कानून में वर्षों से होते आए हैं बदलाव
आयकर अधिनियम, 1961 को लागू हुए छह दशक हो चुके हैं, और इस दौरान इसमें कई संशोधन किए गए हैं। जब इसे पहली बार लागू किया गया था, तब इसमें 880 पृष्ठ थे, जो समय के साथ बढ़ते गए।
अब, नया आयकर विधेयक, 2025 कानून बनने के बाद सरल, स्पष्ट और अधिक संगठित कर व्यवस्था प्रदान करेगा, जिससे करदाताओं और प्रशासन दोनों को लाभ होगा।
(यह विधेयक अब संसद की प्रवर समिति में विचाराधीन है और अगले सत्र में इस पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।)

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