श्रीमद्भागवत कथा के रसपूर्ण प्रवाह में भावविह्वल श्रद्धा—गुरु-शिष्य की अनूठी भक्ति से सराबोर हुआ मिर्जापुर का पावन धाम
इंदौर, विश्वगुरु।
संस्कार, भक्ति और अध्यात्म की गूंज के साथ श्री मदन मोहन धाम राधा कृष्ण मंदिर, सैटेलाइट वैली एन एक्स 3 कॉलोनी, मिर्जापुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का पांचवां दिवस एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव से परिपूर्ण रहा। जब प्रवचन व्यास पंडित श्री विनोद शास्त्री जी के पूज्य गुरुदेव श्री बालकृष्ण जी शास्त्री महाराज मंच पर पधारे, तो संपूर्ण पंडाल एक भक्तिमय सागर में परिवर्तित हो गया।
जैसे ही गुरु-शिष्य की दृष्टि मिली, भावनाओं की अविरल धारा बह निकली। विनोद शास्त्री जी का हृदय श्रद्धा से भर उठा और उनकी आँखों से अश्रु धाराएं बहने लगीं। यह केवल एक शिष्य का गुरु के प्रति प्रेम ही नहीं, अपितु शाश्वत गुरु-परंपरा का जीवंत उदाहरण था। श्रद्धालुओं ने भी इस अलौकिक मिलन को आंसुओं और जयघोषों के साथ नमन किया। गुरुदेव ने अपने शिष्य को आशीर्वाद दिया और व्यास पीठ का विधिवत पूजन कर इस पावन अनुष्ठान की गरिमा को और भी दिव्य बना दिया।

कथा का रसास्वादन—श्रीकृष्ण की लीलाओं में डूबी श्रद्धा
भागवत कथा के प्रवचन में पंडित विनोद शास्त्री जी ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, गोकुलवासियों की भक्ति और उद्धव-संदेश का वर्णन किया। उन्होंने कहा— "जो सात दिनों तक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करता है, वह अपने समस्त पापों से मुक्त होकर परम शांति प्राप्त करता है। यह कथा केवल ज्ञान नहीं, बल्कि जीवात्मा के मोक्ष का सजीव मार्गदर्शन है।"
भगवान श्रीकृष्ण की नटखट बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि गोकुल में यशोदा मैया की ममता और कन्हैया की चंचलता भक्ति का परम आदर्श है। जिस प्रकार यशोदा मैया ने श्रीकृष्ण को माखन चोरी करते रंगे हाथों पकड़ लिया, उसी तरह जब जीव ईश्वर की शरण में जाता है, तो वह उसे बंधन से मुक्त कर स्नेह और भक्ति का उपहार देते हैं।

मानव जीवन और परोपकार का संदेश
पंडित विनोद शास्त्री जी ने मानव जीवन की क्षणभंगुरता का उल्लेख करते हुए कहा—
"मनुष्य संसार में खाली हाथ आता है और खाली हाथ ही चला जाता है। केवल उसके कर्म ही हैं, जो उसे अमर बनाते हैं। इसीलिए हमें छल-कपट छोड़कर, ईश्वर की भक्ति में लीन होकर, परोपकार के मार्ग पर चलना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि हमें अपने अहंकार को त्यागकर भगवान की शरण में जाना चाहिए, क्योंकि वही सच्चे तारणहार हैं।
भावी अनुष्ठान एवं महाभोज का आयोजन
28 फरवरी से प्रारंभ इस दिव्य कथा महोत्सव की पूर्णाहुति 6 मार्च को विशाल भंडारे के साथ संपन्न होगी। प्रत्येक दिन प्रातः 8 से दोपहर 12 बजे तक प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान एवं अपराह्न 1 बजे से 4:30 बजे तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हो रहा है। 6 मार्च को संध्या 5 बजे से श्रद्धालु विशाल भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर धर्मलाभ अर्जित कर सकेंगे।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु, संतगण, भक्त और विद्वानों की उपस्थिति ने वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। श्री मदन मोहन धाम, राधा कृष्ण मंदिर में यह आयोजन केवल एक कथा नहीं, बल्कि भक्तों के लिए ईश्वर से साक्षात्कार का दिव्य अवसर बन गया है।
कथा के दौरान पंडित विनोद शास्त्री ने कहा कि "हरि नाम स्मरण से ही भवसागर पार किया जा सकता है। जो भी इस कथा में सम्मिलित होकर कृष्ण चरित्र को आत्मसात करेगा, उसका जीवन स्वयं श्रीकृष्ण के कर-कमलों में समर्पित हो जाएगा।"
इस दिव्य आयोजन का समापन भले ही 6 मार्च को होगा, लेकिन श्रद्धालुओं के हृदय में यह कथा जीवनभर अमिट भक्ति की प्रेरणा बनकर अंकित रहेगी।