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इस वर्ष रक्षाबंधन 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार श्रावण पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त दोपहर 2:12 बजे शुरू होकर 9 अगस्त दोपहर 1:21 बजे समाप्त होगी।
भद्रा और राहुकाल का समय
पंडित रत्नेश पांडेय ने बताया कि इस बार राखी पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। भद्रा 8 अगस्त को 2:12 बजे शुरू होकर 9 अगस्त सुबह 1:52 बजे समाप्त हो जाएगी। सूर्योदय 5:47 बजे होने से राखी बांधने में कोई बाधा नहीं होगी।
राहुकाल 9 अगस्त को सुबह 9:07 से 10:47 बजे तक रहेगा। इस दौरान शुभ कार्यों से बचना बेहतर माना जाता है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और विशेष योग
- राखी बांधने का समय: सुबह 5:47 से दोपहर 1:24 बजे तक
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:22 से 5:04 बजे तक
- सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 5:47 से दोपहर 2:23 बजे तक
- सौभाग्य योग: पूरे दिन
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:17 से 12:53 बजे तक
इस रक्षाबंधन पर शनि मीन, सूर्य और बुध कर्क, चंद्रमा मकर, गुरु और शुक्र मिथुन, राहु कुंभ तथा केतु सिंह राशि में रहेंगे।
धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं
हिंदू धर्म में रक्षाबंधन से जुड़ी कई परंपराएं हैं-
- राखी सही मुहूर्त में बांधनी चाहिए।
- भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है।
- पारंपरिक मान्यता के अनुसार बहन को खुद भाई के घर जाकर राखी बांधनी चाहिए।
- शास्त्रों में भाई का बहन के घर जाकर राखी बंधवाना उचित नहीं माना गया है, क्योंकि धार्मिक दृष्टि से यह अनुष्ठान तभी पूर्ण होता है जब बहन अपने हाथों से भाई को तिलक कर राखी बांधकर आशीर्वाद दे।
रक्षाबंधन की पौराणिक कथा: राजा बली और भगवान विष्णु
रक्षाबंधन का भाव सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, इसकी जड़ें पौराणिक कथाओं में भी गहरी हैं।
पुराणों के अनुसार दानवों के राजा बली, भगवान विष्णु के महान भक्त थे। उन्होंने कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु से अमरत्व और तीनों लोकों पर अधिकार का वरदान प्राप्त किया। इससे देवताओं में चिंता फैल गई।
देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु वामन अवतार में राजा बली के यज्ञ में पहुंचे और तीन पग भूमि मांगी। पहले पग में स्वर्ग लोक और दूसरे पग में पृथ्वी नाप ली। तीसरे पग के लिए स्थान न होने पर राजा बली ने अपना सिर समर्पित कर दिया।
उनकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का स्वामी बना दिया और स्वयं वहां रहकर उनकी रक्षा करने का वचन दिया। यही रक्षा का वचन रक्षाबंधन के मूल भाव को दर्शाता है — प्रेम, विश्वास और जीवनभर की सुरक्षा।