या जाए। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने राज्य शासन को यह भी स्पष्ट करने कहा है कि आयुष्मान भारत योजना अंतर्गत अब तक प्रदेश के कितने सरकारी और निजी अस्पतालों को संबद्ध किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को निर्धारित की गई है।
कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने आवेदन दायर कर कहा था कि आयुष्मान भारत योजना के मध्य प्रदेश के सीइओ ने पत्र जारी किया है कि आयुष्मान भारत योजना वर्ष 2018 में शुरू हुई थी, लेकिन फरवरी 2020 तक आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत प्रदेश के 25 प्रतिशत हितग्राहियों का पंजीयन हो पाया था। इसके साथ ही पत्र में कहा गया है कि दिसंबर 2019 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत 60 प्रतिशत सरकारी अस्पताल ही संबद्ध हो पाए। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन माह के भीतर आयुष्मान कार्ड बनाने का काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं। राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके वर्मा ने पक्ष प्रस्तुत किया।
आईएमए की ओर से अधिवक्ता शिवेन्द्र पांडे ने दलील दी कि आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों का पंजीयन नहीं हो पा रहा है। आवेदन देने के बाद भी समिति द्वारा निजी अस्पतालों का निरीक्षण नहीं किया जा रहा है।
शाजापुर के एक निजी अस्पताल में बिल नहीं चुका पाने के कारण अस्पताल संचालकों ने एक बुजुर्ग मरीज के हाथ-पैर पलंग से बांध दिए थे। इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में शुरू की है। इसी मामले में हाईकोर्ट द्वारा आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों के इलाज पर सुनवाई की जा रही है।