कोरोना की दूसरी लहर ऐसे लोगों पर ज्यादा भारी पड़ी, जिन्हें कोई बीमारी नहीं थी


इंदौर। शहर में कोरोना संक्रमण का सबसे बुरा दौर अप्रैल में देखा गया। संक्रमण भी तेजी से फैला और मौतें भी ज्यादा हुईं। सरकार की डेथ आडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 74 लोग ऐसे थे जिन्हें कोरोना के साथ पहले से गंभीर बीमारी थी, लेकिन 84 लोग ऐसे थे। जिन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। यानी 53 प्रतिशत लोगों की जिंदगी पर इलाज में देरी, तनाव भारी पड़ गया। यह डेथ आडिट 21 अप्रैल से 11 मई के बीच हुई 158 मौतों का किया गया है।
चिंता वाली बात यह भी है कि 30 से 50 आयु वर्ग के 52 लोगों की जान कोरोना की वजह से गई, जबकि पहली लहर में 50 से 60 आयुवर्ग के लोगों की ज्यादा मौतें हुई थीं। जवान लोगों की ज्यादा मौतें होने के पीछे की वजह डाक्टर बताते हैं कि उन्होंने पहले संक्रमण को हल्के में लिया।
बीमारी की वजह से भीतर हो रहे नुकसान का उन्हें पता देरी से चला। हालत गंभीर हुई तब अस्पतालों में भर्ती हुए। डेथ आडिट के अनुसार 158 मौतों में पुरुष 100 थे,जबकि महिलाओं की संख्या 58 रही। यह डेथ आडिट अस्पताल में हुई मौतों पर हुआ, लेकिन अप्रैल में कई मरीजों की घर पर ही उपचार के दौरान मौत हुई, क्योंकि उन्हें अस्पतालों में जगह नहीं मिली।
इन अस्पतालों में हुई ज्यादा मौतें
डेथ आडिट की समयावधि के 20 दिनों में
अरबिंदो अस्पताल 47
एमटीएच 24
सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल 13
एमआरटीबी अस्पताल 13
यूनिक अस्पताल 8