कोर्ट के आदेश का पालन भी हुआ और दुकानें खुल भी नहीं सकी


इंदौर। प्रशासन ने कोर्ट का आदेश भी मान लिया और किराना दुकानें भी नहीं खुली। बुधवार से लागू हुए जिला प्रशासन के आदेश का ऐसा ही असर नजर आया। कोर्ट के आदेश केे बाद प्रशासन ने छोटे-मध्यम कारोबारियों को राहत देने के लिए जो आदेश जारी किया। असल में छोटे और मध्यम कारोबारियों को ही इससे राहत नहीं मिल सकी। बुधवार सुबह से आदेश लागू होने के बाद भी मुख्य बाजारों से लेकर गली मोहल्लों तक की दुकानें नहीं खुली। बाजार खुलने की खबरों पर यकीन कर जो लोग सामान खरीदने निकले उन्हें भी खाली हाथ लौटना पड़ा। इस बीच निगम की गैंग व कर्मचारियों पर वसूली और अभद्रता क आरोप लगने लगे हैं। कारोबारियों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख टैक्स और बिजली बिल में छूट देने की मांग रखी है।
प्रशासन ने दुकान खोलने के आदेश के आदेेश के शर्त इस तरह की डाली जिससे व्यापार तो नहीं हुआ लेकिन शहर की सड़कों पर ट्रैफिक जरुर बढ़ गया। दरअसल प्रशासन ने सुबह 6 से 12 बजे तक किराना दुकानों को व्यापार करने की अनुमति दी, लेकिन शर्त जोड़ दी कि वे ग्राहक को सामान नहीं दे सकेंगे। इसका लाभ बड़े सुपर स्टोर्स जिनका होम डिलीवरी सिस्टम है जो पहले से सामान घर पहुंचा रहे थे उन्हें ही मिला। कालोनी, मोहल्लों की छोटी दुकानों से लेकर अन्य खेरची किराना दुकानों पर भी व्यापार नहीं हुआ। दरअसल निम्न मध्यम वर्ग के लोग जिन्हें सीमित बजट में सिर्फ हालिया जरुरत का छुटपुट सामान खरीदना था उन्हें होम डिलवरी देने वाले दुकानों ने आर्डर सप्लाय करने इनकार कर दिया।

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अहिल्या चेंबर के प्रवक्ता नरेंद्र बाफना के अनुसार ऐसे जरुरतमंद गरीब लोग जिन्हें 100 रुपये या 200 रुपये का थोड़ा बहुत सामान खरीदना था उनकी परेशानी बरकरार रही। होम डिलीवरी के लिए दुकानों और स्टोर्स वालों में कम से कम हजार रुपये का सामान लेना जरुरी कर दिया है। इस बीच छोटे-मध्यम किराना व्यापारी भी शासन का आदेश पढ़ने के बाद सिर पीटते नजर आए। दरअसल थोक बाजारों को खोलनेे की अनुमति नहीं दी गई। प्रशासन ने आदेेश में लिख दिया कि सियागंज, मल्हारगंज, छावनी, मालवा मिल की थोक दुकानें नहीं खोली जा सकेगी। थोक व्यापारी खेरची वालों से फोन पर आर्डर तो लेे सकेंगे लेकिन उन्हें आर्डर सप्लाय करने की अनुमति दुकान से नहीं होगी।
खेरची कारोबारियों के अनुसार यह कैसे संभव है कि बिना दुकान खोले कोई भी थोक व्यापारी आर्डर सप्लाय कर सकेगा। प्रशासन ने लिख दिया कि दुकान से भिन्न लोकेशन पर स्थित गोडाउन से माल सप्लाय किया जा सकेगा। ज्यादातर थोक व्यापारियों के गोडाउन भी दुकानों में या पास की जगह पर है। ऐसे में वे न तो वो खोल सके न ही माल आपूर्ति कर सके। कुछ एक बड़े और चुनिंदा व्यापारी जिन्होंने औद्योगिक क्षेत्रों में गोडाउन किराए पर ले रखे हैं या बड़ी कार्पोरेट कंपनियां ही माल सप्लाय करती रही। इसका लाभ भी सिर्फ सुपर स्टोर्स को ही मिला। प्रशासन की सख्ती और नए-नए नियमों के बीच नगर निगम के कर्मचारियों की मनमानी जारी रही।
निगम वाले कर रहे व्यापारियों का अपमान
प्रमुख व्यापारी संस्था अहिल्या चैंबर आफ कामर्स ने दो पत्र लिखे हैं। एक प्रधानमंत्री को भेजा है। इस पत्र में कोरोना काल की परेशानियों और बंद व्यापार को देखते हुए व्यापारियों को बिजली के बिल, ईएमआइ में राहत देने की मांग रखी है। कलेक्टर को दूसरा पत्र लिखकर नगर निगम की पीली जीपों से हो रही अभद्रता पर बारे में रोष प्रकट किया है। अहिल्या चैंबर के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल और मंत्री सुशील सुरेका ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा है कि व्यापारी टैक्स दे रहा है, रोजगार पैदा कर रहा है और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए मेहनत भी, लेकिन व्यापारी को न तो उचित सम्मान मिल रहा है न परेशानियों का हल।
नगर निगम के कर्मचारियों को जिनका काम शहर की साफ सफाई, व्यवस्था, नल-जल जैसे प्रबंधन होते हैं उन्हें दंड देने का अधिकारी दे दिया गया है। सुबह से शाम तक छोटे ठेले वालों से लेकर फुटपाथ पर धंधा करने वालों तक से वेे वसूली और सामान छिन रहे हैं। कभी दुकान खोलने तो कभी किसी अन्य बहाने से व्यापारियों सेे अभद्र व्यवहार कर रहे हैं और अवैध वसूली भी। ऐसे में निगम कर्मचारियों को चालान बनाने और डंडा चलाने जैसे अधिकार देेना गलत है। इस बारे में उचित कार्रवाई कर नगर निगम के कर्मचारियों की ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाना चाहिए।