भूख से मरने की चिंता... बैल की जगह महिलाएं खींच रही हल... बच्चे कर रहे हैं मजदूरी!

इंदौर। 
भारत में महिलाओं का संघर्ष किसी से छुपा नहीं है। महिलाओं को उनके बलिदान के लिए जाना जाता है, लेकिन हद तो तब हो जाती है जब गरीबी के कारण महिलाओं को बैल की जगह हल और बक्खर के सामने हल चलाना पड़ता है। ऐसी ही एक तस्वीर मध्य प्रदेश से सामने आई है जो सवाल उठाती है कि महिलाओं की ऐसी हालत के लिए जिम्मेदार कौन है?
मध्य प्रदेश के आगर-मालवा में बैल की जगह महिलाओं ने ले ली है उन्हें खेत जोतने के लिए हल में बैल के स्थान पर रहना पड़ता है। एक तरफ मोदी सरकार ने अपनी कैबिनेट में 1-2 नहीं 11 महिला मंत्री बनाए हैं, वहीं दूसरी तरफ महिलाएं खेतों में बैलों की जगह खेती के उपकरण हाथ में लेकर छँटाई का काम करने को मजबूर हैं

बहुत गरीब होने के कारण आगर-मालवा के इस परिवार के पास इतना पैसा नहीं है कि बैल खरीद सकें, इसलिए महिलाओं को खुद बैल की जगह लेनी पड़ी
 ये महिलाएं दो वक्त की रोटी कमाने के लिए हल चलाने और खेतों में दौड़ने को मजबूर हैं। ये महिलाएं अपनी 3 बीघा जमीन में लगे सोयाबीन की फसल में उगने वाले खरपतवारों को नष्ट करने के लिए कल्पा चला रही हैं।
इतना ही नहीं उनके दो बच्चे हैं जिनके हाथ में किताबें होनी चाहिए, लेकिन हालात से मजबूर ये बच्चे भी अपनी मां की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं महिलाओं के मुताबिक उनके पास न तो बैल है और न ही इतना पैसा है कि बैल खरीद सकें। ऊपर से एक चिंता यह भी है कि जो फसल बोई गई है वह नष्ट न हो जाए।
बैलों के स्थान पर काम करने वाली महिलाओं की यह तस्वीर जितनी भयावह है, उतनी ही सरकारी व्यवस्था के लिए चुनौती भी है यह तस्वीर इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि कैसे बड़े-बड़े दावे कर रही सरकार और उनकी योजनाएं सरकारी दफ्तरों की फाइलों में कैद रहती हैं और किस तरह गरीब महिलाएं परिस्थितियों से मजबूर होकर सांडों की जगह ले लेती हैं

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