शिवराज नहीं तो कौन? मध्य प्रदेश में बदलाव की प्रक्रिया में फंसा उपचुनाव, क्या है बीजेपी की रणनीति
इंदौर। 
अपनी भविष्य की चुनावी रणनीति के तहत विभिन्न राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन कर रही भाजपा मध्य प्रदेश में दो साल बाद होने वाले चुनाव से पहले राज्य में एक नया नेतृत्व स्थापित करने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य में पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं और उनकी सहमति से ही बदलाव किया जाना है। हाल ही में दिल्ली का दौरा करने के बाद चौहान ने केंद्रीय नेतृत्व से भी विचार-विमर्श किया है। मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार हुई थी, हालांकि, कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद, पार्टी को सत्ता में वापस आने का मौका मिला। पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाकर साफ कर दिया था कि वह प्रदेश के बड़े नेता हैं। इससे पहले भी शिवराज सिंह चौहान तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार शिवराज सिंह चौहान जब से डेढ़ दशक से अधिक समय से मुख्यमंत्री हैं, तब से कोई नया नेतृत्व सामने नहीं आया है। पिछले विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह के नेतृत्व में पार्टी की हार हुई थी, इसलिए पार्टी यह भी मानती है कि कहीं न कहीं सत्ता विरोधी लहर भी सामने आती है। इसलिए नेतृत्व परिवर्तन पर अभी से काम होना चाहिए ताकि अगले चुनाव में पार्टी पूरी ताकत से सामने आ सके और राज्य में एक नया नेतृत्व भी उभर सके।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी में विभिन्न स्तरों पर हुए मंथन में जो नाम सामने आए हैं उनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा प्रमुख हैं। हालांकि, ये दोनों सांसद हैं और इन्हें राज्य में भेजने पर पार्टी को दो उपचुनावों का खर्च उठाना पड़ेगा। एक को लोकसभा से इस्तीफा देने पर लोकसभा का उपचुनाव कराना होगा और दूसरा विधानसभा का सदस्य बनने के लिए विधानसभा का उपचुनाव कराना होगा। पार्टी मौजूदा हालात को चुनाव के अनुकूल नहीं मान रही है, इसलिए वह ऐसा तरीका अपना रही है जिससे नेतृत्व में बदलाव हो सकता है लेकिन उपचुनाव से बचा जा सकता है। ऐसे में एक विधायक पर भी दांव लगाया जा सकता है। हालांकि, विधायकों में पार्टी के पास इतना बड़ा चेहरा नहीं है, जिसे इतने बड़े राज्य में आगे लाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक, नए नाम को लेकर संघ और बीजेपी दोनों नेताओं ने अभी फैसला नहीं किया है।
गौरतलब है कि भाजपा नेतृत्व ने हाल ही में उत्तराखंड और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों को बदला था।  उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं, जबकि कर्नाटक में येदियुरप्पा को उनकी उम्र के कारण हटा दिया गया है। मध्य प्रदेश में यह दोनों कारण नहीं हैं, लेकिन पार्टी संगठन के मामले में सबसे मजबूत माने जाने वाले राज्य में भाजपा अगले चुनाव को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। दरअसल, पार्टी का मानना ​​है कि पिछली बार शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में उसे हार मिली है, इसलिए अब समय में बदलाव करना जरूरी है।

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