दरअसल, महाकाल के पुजारी और प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य महेश पुजारी ने बताया कि देखा जा रहा था कि कुछ भक्त कर्मचारियों के सहयोग से गुप्त रूप से महाकाल को जल चढ़ाते थे और सामान्य श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग में जल नहीं चढ़ा पाते थे। उन्होंने कहा कि महाकाल सबके लिए समान है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण ज्योतिर्लिंग पर भक्तों को जल चढ़ाने पर प्रतिबंध था और केवल पुजारी ही भगवान को जल चढ़ा रहे थे, लेकिन भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए नियमों में बदलाव किया गया है।
नए टिकटों में नहीं छपेगी महाकाल की तस्वीर
महेश पुजारी ने बताया कि महाकाल की भस्म लेने के लिए टिकट की व्यवस्था है। टिकट पर भगवान महाकाल के ज्योतिर्लिंग की तस्वीर बनी हुई है। इस टिकट पर ज्योतिर्लिंग की तस्वीर का संज्ञान लेते हुए प्रबंध समिति को बताया गया है कि टिकट पर ज्योतिर्लिंग की तस्वीर होने के कारण दर्शन के बाद भक्त टिकट को इधर-उधर फेंक देते हैं, ज्योतिर्लिंग की तस्वीर पैरों में आ जाती है।
यह भगवान का अपमान है। प्रबंध समिति से इसे टिकट से हटाने को कहा गया है। यानी अब नए टिकट पर महाकाल की तस्वीर नहीं लगेगी।
टिकट पर भगवान की तस्वीर का खूब हुआ विरोध
दरअसल, महाकाल मंदिर में सौ रुपये के प्रोटोकॉल टिकट पर छपे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तस्वीर का विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद महाकाल प्रबंध समिति ने टिकट से फोटो हटाने का फैसला लिया। भस्म आरती के लिए जारी होने वाले 201 रुपये के प्रवेश टिकट पर भी ज्योतिर्लिंग की यह तस्वीर छपी है। प्रबंध समिति ने कहा है कि दोनों जगहों से ज्योतिर्लिंग की फोटो हटाई जाएगी।
श्रद्धालुओं ने कहा कि इन टिकटों को इस्तेमाल के बाद कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है। ऐसे में उन पर ज्योतिर्लिंग की तस्वीर लगाना गलत और अपमानजनक है। इसी तर्क को देखते हुए मंदिर समिति ने यह फैसला लिया है।
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