सर्व रोग नाशक एवं सर्व मंगलकारी हैं भगवान धनवंतरी
  डॉ सतीश चंद्र शर्मा, प्राचार्य शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज इंदौर  

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कार्तिक मास की त्रयोदशी को समुद्र मंथन के समय अवतरित हुए 14 रत्नों मैं हाथ में अमृत कलश लिए हुए भगवान धन्वंतरी का इस पृथ्वी पर प्रादुर्भाव हुआ जो देवताओं के चिकित्सक के रूप में विख्यात हुए l भगवान धन्वंतरी की चार भुजाओं में शंख, चक्र, औषधि, जलौका एवं अमृत कलश हैं, उसमें से अमृत कलश आयुर्वेद रुपी अमृत का संदेश देता है, कि आयुर्वेद से बड़ा कोई भी अमृत नहीं है, सभी अमृत में आयुर्वेद श्रेष्ठ है अर्थात आयुर्वेद कभी समाप्त नहीं होने वाला है।
एवं सभी शास्त्रों में श्रेष्ठ है, जिसका मूल उद्देश्य सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय है, भगवान धन्वंतरी सर्वजरा नाशक, सर्व रोग नाशक एवं सर्व मंगलकारी हैं। भगवान धनवंतरी के उद्भव को धन से जोड़कर देखा जाता है किंतु उसकी मूल भावना यह है कि आरोग्य ही सबसे बड़ा धन है और आरोग्य के महत्व को और भगवान धनवंतरी के प्रति हमारी कृतज्ञता को प्रकट करने के लिए धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन सर्व मंगल कामना करते हैं और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं कि स्वस्थ व्यक्तियों पर और रोगियों पर सदैव उनकी कृपा बनी रहे और सभी आयुर्वेद की औषधियों के द्वारा अमृत पान करके स्वस्थ रहें। भगवान धन्वंतरी ने अपने अनेक शिष्यों के द्वारा के द्वारा आयुर्वेद को पृथ्वी पर लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया उनमें से आचार्य सुश्रुत प्रमुख रहे, जिन्हें आज भी फादर ऑफ सर्जरी अर्थात शल्यक्रिया का जनक कहा जाता है, जिन्होंने सुश्रुत संहिता की रचना की, जिसमें लगभग 200 प्रकार की शल्य चिकित्सा का वर्णन है। 
इसी दिन भारत सरकार के द्वारा आरोग्य के महत्व को जन जन तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस नियत किया गया, पूरे भारतवर्ष में आयुर्वेद के माध्यम से अलग-अलग कार्यक्रम के द्वारा आयुर्वेद से किस प्रकार लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जा सकता है और किस प्रकार आयुर्वेद के द्वारा सभी व्यक्ति सुखी एवं स्वस्थ रह सकते हैं इसकी जानकारी दी जाती है। राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 2021 को आयुर्वेद और पोषण के रूप में मनाया जा रहा है। लाखो वर्ष पूर्व से ही आयुर्वेद के द्वारा लोगों की चिकित्सा की जा रही है और यह प्रभावी चिकित्सा रही है,  जिसमें किसी भी प्रकार के नुकसान होने की संभावना नहीं होती है, प्रत्येक घर में आयुर्वेद से जुड़ी औषधियां घर-घर में पाई जाती हैं जिनका प्रयोग करके परिवार जनों को स्वस्थ रखा जा सकता है अर्थात आयुर्वेद के इलाज के लिए घर में ही औषधियां उपलब्ध रहती हैं। कोरोना काल में हमने देखा है की आयुर्वेदिक औषधियों से लोगों ने अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई और कोरोनावायरस के द्वारा होने वाले नुकसान से अपने आप को एवं पूरे समाज को बचाया। 
आज आयुर्वेद समाज में इतना लोकप्रिय हो गया है कि लोग किसी भी बीमारी में प्रथम भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को ही चुनते हैं और उससे लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं। आयुर्वेद के द्वारा इलाज की परंपरा सिर्फ भारत में ही नहीं है अपितु पूरे विश्व में लोग आयुर्वेद एवं योगा के माध्यम से अपने आप को स्वस्थ रख रहे हैं। 
आयुर्वेद औषधियों को आज वैज्ञानिक स्तर पर प्रमाणित किया जा रहा है इससे लोगों का इसमें विश्वास बढ़ा है क्योंकि आयुर्वेद एवं योगा भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, इसलिए हम सभी का धर्म है की भारत की पुरातन संस्कृति सभ्यता और चिकित्सा पद्धति का सम्मान करें अधिक से अधिक लोग प्रयोग करें और इसके संरक्षण में जितने भी प्रयत्न किया जा सके हैं उतने हमें करना चाहिए। भारत में आयुर्वेद औषधियों का एवं वनों का प्रचुर भंडार है, जिसका हम औषधियों के रूप में लगातार प्रयोग कर रहे हैं और इस अमृत का पान करके अपने स्वास्थ्य की गुणवत्ता को बढ़ा रहे हैं।

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