मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव पर संशय, सुप्रीम कोर्ट ने कहा पिछड़े वर्ग की सीटों को सामान्य में मर्ज करें फिर कराएं चुनाव
इंदौर। 
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है राज्य सरकार ने शनिवार को होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी है इधर, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग को आगाह करते हुए कहा कि जब आपने पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का डेटा जमा नहीं किया तो जब डेटा मांगा गया तो नहीं दे सके तो किस आधार पर दे रहे हैं ओबीसी आरक्षण। ओबीसी की सीटों को सामान्य वर्ग में मिला दिया जाए।
अदालत ने यह भी कहा कि यही निर्देश शहरी निकाय चुनावों पर भी लागू होंगे। इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए सॉलिसिटर जनरल और राज्य चुनाव आयोग को सख्त निर्देश दिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि अगर अदालत के निर्देशों की अवहेलना की गई तो चुनाव रद्द कर दिए जाएंगे। हाईकोर्ट को भी जनवरी में नियमित सुनवाई के दौरान इस मुद्दे पर गौर करने को कहा गया था।

जिला पंचायत अध्यक्ष के आरक्षण पर रोक
शनिवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कोई आरक्षण नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इस प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित रखने का फैसला किया है यह दूसरी बार है जब पदों के आरक्षण की प्रक्रिया को टाला गया है। राज्य सरकार ने कमलनाथ सरकार के तहत पंचायतों का परिसीमन रद्द कर दिया था। इसी के चलते अब 2014 में आरक्षण के आधार पर चुनाव हो रहे थे इसके साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण कराने का कार्यक्रम घोषित किया गया
आरक्षण की प्रक्रिया 14 दिसंबर को होनी थी, लेकिन आरक्षण के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में दायर याचिका को देखते हुए इसे चार दिन बढ़ाकर 18 दिसंबर कर दिया गया सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण फिलहाल के लिए टाल दिया है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सभी वर्ग की महिलाओं के लिए लॉटरी निकालकर आरक्षण किया जाएगा

कानूनी सलाह ले रहा है राज्य चुनाव आयोग
पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार के बीच मंथन का दौर शुरू हो गया है दोनों अपने-अपने स्तर पर कानूनी सलाह ले रहे हैं। उसके बाद ही चुनाव को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा।

यह है आरक्षण व्यवस्था
राज्य के 52 जिलों के अनुसार आठ जिला पंचायतों को अनुसूचित जाति, 14 अनुसूचित जनजाति और 13 अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया जा रहा था राज्य में आरक्षण की व्यवस्था के तहत जिले में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान है जहां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 50 प्रतिशत से कम है

इनका कहना है
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जांच की जा रही है। कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
बीएस जमोद, सचिव राज्य चुनाव आयोग

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