जोशी कॉलोनी में भागवत कथा के पांचवे दिन किया गया गोवर्धन पूजा, भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के लगाए भोग
कथावाचक पं.सुमित आचार्य ने कथामृत का भक्तों को कराया रसपान
विश्वगुरु, इंदौर। खंडवा रोड तेजाजी नगर स्थित जोशी कॉलोनी मैदान में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के पाँचवे दिन शुक्रवार को कथा वाचक पं. सुमित आचार्य जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओ और गोवर्धन पूजा के प्रसंग विस्तार से सुनाए। श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ में गोवर्धन पर्वत की कृत्रिम आकृति-झांकी के माध्यम से दर्शाई गई। वहीं भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के भोग लगाए गए।  प्रवंचन में सुमित जी महाराज ने कहा की भगवान श्री कृष्ण ने पृथ्वी पर धर्म व सत्य की पुन: स्थापना के लिए द्वापर युग में अवतार लिया। उन्होने बाल्य अवस्था में ही कालीय नाग का मर्दन करके यमुना जी को पवित्र किया। पूतना एवं बकासुर आदि मायावी शक्तियो का अंत किया। 
बृज भूमि में आतंक के प्रयायी कंश मामा का वध करके अपने माता-पिता देवकी-वसुदेव और नाना महाराज उग्रसेन को कारागार से मुक्त कराया।  गोवर्धन पूजा में प्रकृति की पूजा का उल्लेख किया गया। गायकों द्वारा एक से बढ़कर एक भजन सुनाए गए। भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। 
कथा के दौरान पंडित सुमित आचार्य ने कहा कि 
अधर्म पर धर्म की विजय के लिए श्रीमद् भागवत कथा अमृतवाणी का रसपान कर अपने जीवन को धन्य बनाएं, ऐसा संयोग जीवन में जब भी मिले उसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। विषम परिस्थिति में भी हम सुखी रह सकते हैं, अगर मन यह मान लें की दुःख है ही नहीं। दुःख होते हुए भी न हरि को भूलो न जग छोड़ो। 
गिरिराज भगवान की कथा श्रवण कराते हुए 
सुमित आचार्य ने बताया कि भगवान कृष्ण ने नंदबाबा से इंद्र की पूजा करने के बजाए गिरिराज पर्वत की पूजा के लिए कहा। इंद्र की नाराजी पर श्रीकृष्ण ने नंदबाबा से कहा कि हमारे कर्म हमारे सुख-दुख के दाता हैं। हमें सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए तो कोई कुछ नहीं बिगाड़ता। 
इन्द्र हमें कुछ नहीं देते जबकि गिरिराज हमारी गायों का चारा देते हैं। इस अवसर पर गिरिराज पर्वत की सजीव झांकी के साथ सुमित आचार्य ने छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल,छोटो सो मेरो मदन गोपाल सुनाया तो पूरा पाडांल भक्ति से झूम उठा। कथा में गुरुवार को रुक्मणी विवाह और महारास का आयोजन होगा। 


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