व्यक्ति के जीवन का सार है भागवत कथा -पं.सुमित आचार्य
इंदौर, विश्वगुरु।
भागवत कथा से भक्त में सदगुणों का विकास होता है, वह काम, क्रोध, लोभ, भय से मुक्त होता है। यह प्रवचन गुरुवार को मालवा के प्रसिद्ध कथाकार पंडित सुमित आचार्य ने 2 जनवरी 2022 तक चलने वाली कथा के दौरान दिए। कथा का आयोजन जोशी कॉलोनी भागवत कथा आयोजन समिति की ओर से तेजाजी नगर स्थित जोशी कॉलोनी के मैदान में किया जा रहा है।
सात दिवसीय भागवत महोत्सव के चौथे  दिवस में भव्य रूप से कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया। इस मौके पर कथा सुनाते हुए पंडित सुमित आचार्य महाराज ने बताया कि जीव के अनंत जन्म का जब पुण्य उदय होता है तब उसे सत्संग सुनने का फल मिलता है। सामान्यतः सारा विश्व जन्माष्टमी मनाने के लिए 1 वर्ष इंतजार करता है। लेकिन जो व्यक्ति सत्संग में भागवत की कथा का श्रवण करता है उसके लिए हर सप्ताह का चौथा दिन जन्मोत्सव हो जाता है। जन्मोत्सव की कथा के उपरांत ठाकुर जी की सुंदर बाल लीलाओं का शब्दों के माध्यम से सभी श्रोता गणों ने दर्शन किया। 
भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों तथा नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की जयघोष से वातावरण गूंजमान हो उठा। कथा वाचक सुमित जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की महत्ता पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। 
मथुरा में राजा कंस के अत्याचार से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रूप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। सुमित आचार्य ने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा, जब उसके बताए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करेंगे।
कथा व्यास सुमित आचार्य ने श्रीकृष्ण लीला का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण नित्य ही माखन चोरी लीला करते हैं। मां यशोदा के बार-बार समझाने पर भी श्रीकृष्ण नहीं मानते हैं तो मां यशोदा ने भगवान को रस्सी से बांधना चाहा पर भगवान को कौन बांध सकता है, लेकिन भगवान मां की दयनीय दशा को देखते हुए स्वयं बंध जाते हैं। इसलिए भगवान को न धन, पद व प्रतिष्ठा से नहीं बांध सकता। 
भगवान तो प्रेम से बंध जाते हैं। श्रीकृष्ण जन्म की झांकी ने सभी का मनमोहा। श्रद्धालुओं ने भजनों पर झूमते हुए श्रीकृष्ण को जन्म की बधाई दी। सभी ग्रंथों में से श्रीमद् भगवद् गीता को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें व्यक्ति के जीवन का सार है और इसमें महाभारत काल से लेकर द्वापर में कृष्ण की सभी लीलाओं का वर्णन किया गया है। 
वहीं श्रद्धालुओं ने  मक्खन मिश्री के प्रसाद का भोग लगाकर वितरित किया। 
प्रति दिन कथा श्रवण के लिए काफी संख्या में महिला पुरुष श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कल शुक्रवार को कथा प्रसंग गोवर्धन पूजा और 56 भोग मुख्य आकर्षण रहेगा। जोशी कॉलोनी भागवत कथा आयोजन समिति के सदस्यों ने ज्यादा से ज्यादा संख्या में श्रद्धालुओं को कथा में आने की अपील की है।

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