यह भी पढ़ें: इन पांच वजहों से बनी पंजाब की 'सरदार' आम आदमी पार्टी
छह महीने पहले उत्तर प्रदेश में यह एकतरफा मुकाबला था। मतलब सियासी गलियारे में चर्चा थी कि योगी आदित्यनाथ दोबारा चुनाव जीतेंगे। लेकिन जल्द ही सारा खेल बदल गया। चुनाव नजदीक आते ही भाजपा के खिलाफ माहौल बन गया। एक के बाद एक योगी के तीन मंत्रियों समेत 11 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। सभी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। यहीं से समाजवादी पार्टी ने अपने पक्ष में माहौल बनाया। यहां तक कहा जा रहा था कि इस बार बीजेपी चुनाव हार सकती है।
आखिर क्यों योगी ने अखिलेश को पछाड़ा?
- कानून व्यवस्था : योगी सरकार की कानून-व्यवस्था के सामने सस्ती बिजली, संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, शिक्षामित्रों की फिर से नियुक्ति और पुरानी पेंशन लागू करने जैसी बड़ी चुनावी घोषणाएं भी विफल रहीं। योगी आदित्यनाथ लोगों को यह समझाने में सफल रहे कि कानून-व्यवस्था बेहतर होगी तो राज्य का विकास तेजी से होगा। इतना ही नहीं चुनावी दौर में सपा नेताओं के विवादित वीडियो भी अखिलेश के खिलाफ गए। अखिलेश ने जो माहौल बनाया था, वह सब पीछे छूट गया। महिलाओं ने अखिलेश के किसी भी वादे के बजाय योगी की कानून-व्यवस्था में विश्वास जताया।
- महिलाओं का पूरा समर्थन: पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत महिलाओं के रूप में सामने आई है। पीएम आवास योजना से लेकर उज्ज्वला गैस योजना और बिजली योजना तक सभी ने महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम किया। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर महिलाओं ने भी योगी आदित्यनाथ का समर्थन किया। राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह का कहना है कि इन चुनावी नतीजों से साफ पता चलता है कि मुस्लिम महिलाओं ने भी बीजेपी सरकार को वोट दिया है।
- काम आया मुफ्त राशन का वितरण: भाजपा सरकार कोरोना काल में हर गरीब को तीन साल से मुफ्त राशन मुहैया करा रही थी। इसकी गांव-गांव के लोगों ने सराहना की। पीएम मोदी और सीएम योगी हमेशा अपनी रैलियों में भी इसका जिक्र करते थे। इसका फायदा बीजेपी को भी मिला।
- किसान सम्मान निधि और आवास योजनाएं: पीएम किसान सम्मान योजना के तहत छोटे किसानों को हर साल छह हजार रुपये दिए जाते हैं। यह राशि सीधे किसानों के खाते में जाती है। गांवों के किसान भी इसकी तारीफ करते हैं। इसके अलावा गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को आवास योजना और शौचालय के लिए पर्याप्त राशि दी जाती है। लोग खुले मंच से इसकी तारीफ करते हैं। ये योजनाएं चुनाव में बीजेपी के लिए काफी मददगार साबित हुईं।
- दलित वोटरों का बीजेपी में आना: वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद श्रीवास्तव का कहना है कि करीब 70 फीसदी दलित वोटर बहुजन समाज पार्टी से बीजेपी में शिफ्ट हो गए हैं। समाजवादी पार्टी ने बहुत प्रयास किए, लेकिन दलित मतदाताओं का विश्वास नहीं जीत पाई। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब सपा सरकार सत्ता में थी, तब दलितों पर अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले सामने आते थे। इसलिए बसपा के बाद दलित वोटर अगर किसी पार्टी पर भरोसा कर पाए हैं तो वो बीजेपी है।
आप विश्वगुरु का ताजा अंक नहीं पढ़ पाए हैं तो यहां क्लिक करें
विश्वगुरु टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।