30 से ज्यादा श्रद्धालु हुए दफन, महिलाएं व बच्चे भी शामिल
जानकारी के मुताबिक हादसा सुबह करीब 4 बजे हुआ। जहां एकादशी के दिन मंदिर के कपाट खुलते ही दर्शन की दौड़ में भीड़ का दबाव अचानक बढ़ गया। जिससे भगदड़ मच गई। हादसे में 30 से ज्यादा बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग दब गए। जिसे भीड़ ने कुचल दिया और छोड़ दिया।
जानकारी के मुताबिक हादसा सुबह करीब 4 बजे हुआ। जहां एकादशी के दिन मंदिर के कपाट खुलते ही दर्शन की दौड़ में भीड़ का दबाव अचानक बढ़ गया। जिससे भगदड़ मच गई। हादसे में 30 से ज्यादा बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग दब गए। जिसे भीड़ ने कुचल दिया और छोड़ दिया।
दो घंटे तक नहीं मिली मदद
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, भगदड़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए दो घंटे तक कोई मदद नहीं मिली। तब तक घायल श्रद्धालु मौके पर ही घायल अवस्था में तड़पते रहे। बाद में पुलिस और प्रशासन की टीम उसे अस्पताल ले गई। लोगों ने कहा कि अगर समय पर मदद दी जाती तो सभी भक्तों की जान बचाई जा सकती थी।
मंदिर समिति और प्रशासन की बड़ी चूक
घटना में मंदिर समिति व स्थानीय प्रशासन की लापरवाही सामने आई है। श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने के बाद भी मंदिर समिति ने रात 11 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए। जिससे एकादशी के प्रातः दर्शन के लिए मंदिर में भीड़ का दबाव लगातार बढ़ता गया। वहीं प्रशासन ने भगदड़ जैसी स्थिति से बचने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए। जिससे घायलों को तत्काल मदद नहीं मिल सकी। हालांकि भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने मेला मार्ग बढ़ा दिया था। फिर भी मंदिर की व्यवस्था को लेकर श्रद्धालुओं में काफी आक्रोश था।
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