जानिए क्यों गईं इतनी जाने
इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि जिस वक्त लोग गिरे बावड़ी में पानी भरा था। फर्श के गिरते ही लोग जैसे ही बावड़ी के अंदर गिरे तो दूसरे लोग एक दूसरे के ऊपर गिरे वहीं साथ ही निर्माण में उपयोग किए गए लोहे के सरिए और मलबा लोगों के ऊपर गिर गया और वे घायल हो गए। पानी भरने के कारण राहत एवं बचाव कार्य में लगे जवानों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। हादसे के करीब छह घंटे बाद बावड़ी का पानी खाली किया जा सका और लोगों को बाहर निकाला गया। वहीं, पानी के स्त्रोतों से लगातार पानी बावड़ी में भर जा रहा था, जिसके चलते राहत एवं बचाव कार्य के दौरान काफी दिक्कतों का सामना आर्मी के जवानों को करना पड़ा। काफी पुराना बावड़ी होने के कारण उसमें सिल्ट भी जमा थी।
इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण यह है कि जिस वक्त लोग गिरे बावड़ी में पानी भरा था। फर्श के गिरते ही लोग जैसे ही बावड़ी के अंदर गिरे तो दूसरे लोग एक दूसरे के ऊपर गिरे वहीं साथ ही निर्माण में उपयोग किए गए लोहे के सरिए और मलबा लोगों के ऊपर गिर गया और वे घायल हो गए। पानी भरने के कारण राहत एवं बचाव कार्य में लगे जवानों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। हादसे के करीब छह घंटे बाद बावड़ी का पानी खाली किया जा सका और लोगों को बाहर निकाला गया। वहीं, पानी के स्त्रोतों से लगातार पानी बावड़ी में भर जा रहा था, जिसके चलते राहत एवं बचाव कार्य के दौरान काफी दिक्कतों का सामना आर्मी के जवानों को करना पड़ा। काफी पुराना बावड़ी होने के कारण उसमें सिल्ट भी जमा थी।
बावड़ी नगर निगम के रिकॉर्ड में नहीं है
बावड़ी को 100 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जा रहा है, वहीं, नगर निगम के रिकॉर्ड में शहर की 600 से ज्यादा बावड़िया शामिल हैं। लेकिन मंदिर की जिस बावड़ी में यह हादसा हुआ वह रिकॉर्ड में शामिल नहीं है।
बावड़ी को 100 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जा रहा है, वहीं, नगर निगम के रिकॉर्ड में शहर की 600 से ज्यादा बावड़िया शामिल हैं। लेकिन मंदिर की जिस बावड़ी में यह हादसा हुआ वह रिकॉर्ड में शामिल नहीं है।
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