इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 100 एपिसोड पूरे हो गए। इस कार्यक्रम के जरिए देश के नायक यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के बीच संवाद की नई परम्परा कायम की है। लोकतंत्र में जनता से सीधा संवाद बहुत महत्वपूर्ण होता है। प्रधानमंत्री ने देश की जनता से सीधा संवाद स्थापित कर एक नया आयाम स्थापित कर दिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सामाजिक मूल्यों पर बल दिया। राजनीतिक शब्दावली से कहीं अलग उनके शब्दों ने श्रोताओं पर जादू सा असर किया। उन्होंने समाज के उन लोगों की चर्चा की जो देश के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं, लेकिन उनकी खबरें कभी सामने नहीं आईं। राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे को उठाने के लिए प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम का जमकर इस्तेमाल किया। लोगों को अपनापन लगता है इसीलिए वे पीएम के मन की बात पर गौर करते हैं। जनता से पीएम के जुड़ने का मंच आकाशवाणी के रूप में इतना सरल बना दिया है कि लोग पीएम के संवादों को याद रखते हैं और मन की बात से नियमित जुड़े रहने का प्रयास करते रहते हैं। लोकल पर वोकल का आह्वान भी मन की बात से ही जुड़ा है। कई बार पीएम बताते हैं कि घर पर बचे हुए कपड़े का थैला इस्तेमाल करो ताकि प्लास्टिक से मुक्ति मिले, इसी तरह वह बच्चों को खड़े होकर पानी न पीने की बात कहते हैं, अगले ही पल वह समझाते हैं कि पानी हमेशा बैठकर पीना चाहिए इससे घुटनों में दर्द नहीं होता। ऐसा लगता है कि कोई बड़ा-बुजुर्ग समझा रहा है। देश के लिए यह गौरव की बात है कि आज कहा जाता है कि मोदी है तो मुमकिन है, इस बात पर हर किसी को फख्र होना चाहिए इस बात में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। लोकतंत्र में जनता के बीच जाकर जनता की बात सुनना और अपनी बात से उन्हें संतुष्ट रखना यह वही कर सकता है जो संवाद अदायगी के तौर-तरीके जानता हो। इस मामले में हमारे पीएम मोदी जी का कोई जवाब नहीं है। इसीलिए उन्हें लोग मन से चाहते हैं। पीएम के मन की बात का असर उन पर होता है लोग उन्हें दिल से प्यार करते हैं। यह सिलसिला 100वें एपिसोड तक ही नहीं बल्कि 1000 एपिसोड तक चलता रहना चाहिए। हमें पीएम पर नाज है यह बात सोशल मीडिया पर हर कोई कह रहा है। वर्षों बाद देश को ऐसा पीएम मिला है जो मन की बात करता है और लोगों के मन की बात समझता है।