मोहन यादव बने मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री, जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला बने उप मुख्यमंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर स्पीकर
भोपाल। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी कौन संभालेगा, इसे लेकर कई दिनों से जारी सस्पेंस आज खत्म हो गया। विधायक दल की बैठक में  मोहन यादव के नाम पर सहमति बन गई है। मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं। मोहन यादव को संघ का करीबी बताया जाता है। जानकारी के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान ने ही मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव विधायक दल की बैठक में किया था। इस फैसले के परिणामस्वरूप, अब मोहन यादव के हाथों मध्य प्रदेश की कमान होगी।
भाजपा ने मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए छत्तीसगढ़ की तर्ज पर कदम उठाया है, जिसमें दो डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को सौंपी गई है। इसके अलावा, भाजपा के सीनियर नेता नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

मोहन यादव कौन हैं?
मोहन यादव ने 1990 और 1993 की विधानसभा में सदस्यता प्राप्त की थी। उन्होंने पटल समिति के सदस्य भी रहे हैं और 2003 में बारहवीं विधानसभा के सदस्य बने थे। उन्हें राज्य मंत्री के रूप में भी चुना गया था जब वह 2008 में तेरहवीं विधानसभा के सदस्य बने थे। उन्हें सरकार में परिवहन, जेल, योजना, आर्थिक, सांख्यिकी और गृह विभागों की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।

दिल्ली से आए पर्यवेक्षकों के सामने हुआ फैसला
इस पहल से पहले, भाजपा आलाकमान ने भोपाल ने पर्यवेक्षकों की एक टीम भेजी थी, जिसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, आशा लाकड़ा और के लक्ष्मण शामिल थे। भोपाल पहुंचने के बाद, खट्टर और अन्य पर्यवेक्षकों ने मुख्यमंत्री आवास में मुलाकात की और फिर शिवराज सिंह के साथ मिलकर फैसला लिया गया। इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप, सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा, यह तय किया गया।

फोटो सेशन में पीछे की पंक्ति में बैठे थे मोहन यादव
इस रेस में, जिसमें सीएम शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल और वीडी शर्मा शामिल थे, मोहन यादव का नाम नहीं था। इसके बावजूद, उन्होंने विधायक दल की बैठक में और फोटो सेशन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था।

बीजेपी ने 163 सीटें जीती थीं
बता दें कि मध्य प्रदेश में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल किया था। राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबले में भाजपा को 163 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि कांग्रेस केवल 66 सीटों पर सिमट गई।

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