![]() |
लेकिन हकीकत कुछ और थी। कुछ ही महीनों बाद एमपीआईडीसी की टीम आई और अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई शुरू कर दी। तब रवि को समझ आया कि वह एक बड़े जाल में फंस चुके हैं। जमीन जिस पर उन्होंने अपने सपनों का महल बनाने का सोचा था, वह दरअसल इंडस्ट्रियल प्लानिंग एरिया का हिस्सा थी और वहां निजी कॉलोनी विकसित करना पूरी तरह गैर-कानूनी था।
कब्जों और अवैध कॉलोनियों का खेल
पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया, जिसे मध्यप्रदेश का आर्थिक इंजन कहा जाता है, अब भूमाफिया के कब्जे में है। यहाँ कई सालों से अवैध रूप से कॉलोनियों को काटा जा रहा है। लोगों को भ्रमित करने के लिए दलाल और भूमाफिया यह प्रचार करते हैं कि यह जमीन सरकारी स्कीम में शामिल नहीं है और आसानी से रजिस्ट्री भी हो सकती है।
एमपीआईडीसी के कार्यकारी संचालक राजेश राठौर ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह निवेश क्षेत्र सरकार द्वारा घोषित है और इसमें अवैध कॉलोनियों की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद, कई लोग अवैध रूप से प्लॉट काटकर भोले-भाले नागरिकों को ठगने में लगे हैं। एमपीआईडीसी ने हाल ही में अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई की, जिसमें मो. शोएब सलमपुर, राहुल जाधव, शैलेंद्र रणमल बिल्लौद, पोपसिंह, सत्यानारायण, विनोद, रणमल बिल्लौद सहित कई नाम सामने आए हैं।
एफआईआर के बावजूद जारी है धंधा
अवैध कॉलोनियों के खिलाफ 10 से अधिक एफआईआर दर्ज होने के बावजूद भूमाफिया का हौसला कम नहीं हुआ है। वे लगातार प्लॉट बेचने और झूठे आश्वासनों के साथ आम जनता को लूटने का कार्य कर रहे हैं। जिन लोगों के घर गिराए गए हैं, वे अब प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि उनके साथ न्याय किया जाए, लेकिन प्रशासनिक प्रक्रियाओं की उलझनों के कारण न्याय मिलना मुश्किल हो रहा है।
44 गांवों में फैला है अवैध कॉलोनियों का जाल
पीथमपुर निवेश क्षेत्र में करीब 44 गांवों में यह अवैध प्लॉटिंग हो रही है। इनमें सलमपुर, रणमल बिल्लौद, अंबापुरा, बेटमाखास, अकोलिया, बरदरी, बक्साना, बिचौली सुलावड़, बगोदा, मेठवाड़ा जैसे कई गाँव शामिल हैं। इन इलाकों में लोग सस्ते दामों पर जमीन लेकर प्लॉटिंग कर रहे हैं और फिर इन्हें आम जनता को बेच रहे हैं।
आगे की राह: कब खत्म होगा यह खेल?
प्रशासन ने अब आम जनता को सतर्क किया है कि वे किसी भी प्लॉट को खरीदने से पहले पूरी जांच-पड़ताल कर लें। पीथमपुर निवेश क्षेत्र में जमीन खरीदने से पहले एमपीआईडीसी या संबंधित सरकारी विभाग से अनुमति और वैधता की पुष्टि करना अनिवार्य है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या भूमाफिया का यह खेल प्रशासन रोक पाएगा? या फिर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार इसी तरह ठगे जाते रहेंगे?
प्रशासन की सख्ती और जनता की जागरूकता ही इस गहरे षड्यंत्र को समाप्त कर सकती है।
आप विश्वगुरु का ताजा अंक नहीं पढ़ पाए हैं तो यहां क्लिक करें
विश्वगुरु टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।