इंदौर। मध्य प्रदेश में एक तरफ लोग कोरोना महामारी से जान बचाने के लिए जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ जीवन रक्षक दवाओं को मनमाने दामों पर बेचा जा रहा है. इंजेक्शन की कालाबाज़ारी करने वाला एक और आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ा. यह मामला हाई प्रोफाइल इसलिए हो गया क्योंकि कलेक्टर के खिलाफ जाकर इस्तीफा देने से चर्चा में आईं जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पूर्णिमा गडरिया का नाम जुड़ गया. गडरिया के ड्राइवर को विजय नगर थाना पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचते हुए गिरफ्तार किया और उसके पास से एक इंजेक्शन भी मिला.
विजय नगर पुलिस के अनुसार मुखबिर की सूचना पर टीम ने 30 वर्षीय पुनीत अग्रवाल को गिरफ्तार किया. वह किसी को 15 हज़ार रुपये में इंजेक्शन बेच रहा था. उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया. पूछताछ की जा रही है कि वह इंजेक्शन कहां से लाया था और उसके साथ कौन और लोग इस कालाबाज़ारी में शामिल हैं.
नकली इंजेक्शनों के मामले में रिकॉर्ड हो रहे बयान
डॉ. पूर्णिमा के ड्राइवर अग्रवाल से जो इंजेक्शन ज़ब्त किया गया, वह असली रेमडेसिविर है या नकली, इसकी जांच के लिए पुलिस अब एफएसएल तक सैंपल भेजने की तैयारी कर रही है. पुलिस के अनुसार नकली रेमडेसिविर खरीदने वाले अभी तक 60 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. बाकी के लोगों से संपर्क कर समझाया जा रहा है कि वो सिर्फ बयान दें, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी.
डॉ. पूर्णिमा के ड्राइवर अग्रवाल से जो इंजेक्शन ज़ब्त किया गया, वह असली रेमडेसिविर है या नकली, इसकी जांच के लिए पुलिस अब एफएसएल तक सैंपल भेजने की तैयारी कर रही है. पुलिस के अनुसार नकली रेमडेसिविर खरीदने वाले अभी तक 60 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. बाकी के लोगों से संपर्क कर समझाया जा रहा है कि वो सिर्फ बयान दें, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी.
पिछले दिनों विजय नगर पुलिस ने ही नकली रेमेडेसिविर इंजेक्शन बेचते गिरोह का पर्दाफाश किया था. महंगे दामो में इंजेक्शन बेचने वाले आरोपी भी पुलिस के हत्थे चढ़े थे.