'रॉकेट' होते खाद्य तेल के दाम ने बजाया अलॉर्म


देश में खाद्य तेलों के दाम आसमान छू रहे हैं और आम जनता में इसे लेकर नाराजगी दिख रही है. इसे देखते हुए अब केंद्र सरकार खाद्य तेलों के आयात कर को घटाने की तैयारी कर रही है. इससे तेल के दाम में कमी आने की संभावना बनेगी.  

गौरतलब है कि देश में सरसों के तेल, पाम ऑयल, सोया ऑयल आदि के दाम 175 से 200 रुपये लीटर के करीब पहुंच चुके हैं. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हवाले से यह खबर दी है, कि इसमें राहत देने के लिए टैक्स घटाने की तैयारी हो रही है. भारत दुनिया में वनस्पति तेलों का सबसे बड़ा आयातक है. 
कीमतें कम होंगी और खपत बढ़ेगा
आयात कर घटाने से घरेलू बाजार में तेलों की कीमतें कम होंगी और खपत बढ़ेगा. इससे मलेशिया से आयात होने वाले पाम ऑयल, सोया ऑयल, सनफ्लावर ऑयल  के आयात को सहारा मिलेगा और घरेलू सरसों, सोयाबीन और मुंगफली तेल के दाम भी घटेंगे. 
एक वरिष्ठ सरकार अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, 'खाद्य तेलों में आयात कर को घटाने का प्रस्ताव विचाराधीन है.' उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बारे में इसी महीने कोई निर्णय लिया जा सकता है. 
एक साल में दोगुनी कीमतें 
गौरतलब है कि देश में सोया ऑयल और पाम ऑयल की कीमतें भी पिछले एक साल में दोगुनी हो चुकी हैं. ऐसे में जब जनता कोरोना से परेशान है, लोगों की आमदनी बहुत कम हो गई, तेल के दाम उनके भोजन का स्वाद बिगाड़ रहे हैं. 
भारत अपनी खाद्य तेल जरूरतों का करीब दो-तिहाई हिस्सा आयात के द्वारा पूरा करता है. पाम ऑयल पर फिलहाल 32.5 फीसदी और क्रूड सोयाबीन तथा सोया ऑयल पर 35 फीसदी टैक्स लगाया जा रहा है. पाम ऑयल का आयात मुख्यत: इंडोनेशिया, मलेशिया सेस और सोया ऑयल, सनफ्लावर ऑयल का आयात अर्जेंटीना, ब्राजील, यूक्रेन और रूस से किया जाता है. 

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