दिवाली शुभ मुहूर्त
इस वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम 5:28 बजे से मनाई जा रही है और इस दिन प्रदोष काल और मध्यरात्रि में अमावस्या तिथि है, इसलिए 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में घरवाले दिवाली की पूजा करेंगे। आपको बता दें कि इस साल अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों को है लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष काल से पहले समाप्त हो जाएगी, इसलिए दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। अमावस्या 24 अक्टूबर को शाम 5:28 बजे शुरू होगी, जो मंगलवार शाम 4:19 बजे तक चलेगी। 24 अक्टूबर को दिवाली का शुभ मुहूर्त शाम 6.54 बजे से रात 8.16 बजे तक है।
दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजा शुभ मुहूर्त- 24 अक्टूबर
- लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त - शाम 06:54 से 08:16 मिनट तक
- लक्ष्मी पूजन की अवधि- 1 घंटा 21 मिनट
- प्रदोष काल - शाम 05:42 से रात 08:16 मिनट तक
- वृषभ काल - शाम 06: 54 से रात 08: 50 मिनट तक
दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजाविधि
दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा, आरती की जाती है। इस दिन की पूजा के लिए पूजन सामग्री चाहिए होती है। गणेश- लक्ष्मी जी की मूर्ति, साथ में मां सरस्वती की तस्वीर। चांदी का सिक्का क्योंकि इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक कहा जाता है। पूजा के लिए फूल, खासकर मां लक्ष्मी को कमल का फूल पसंद है, इसलिए वो सबसे जरूरी है।
इसके अलावा इन चीजों की जरूरत होती है। चंदन, सिंदूर, कुमकुम, केसर, पांच यज्ञोपवीत, चावल, अबीर, गुलाल, हल्दी, सोलह श्रृंगार का सामान (चूड़ी, मेहंदी, पायल, बिछिया, काजल, बिंदी, कंघा)।
- पूजा के लिए लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और इस पर साबुत अक्षत की एक परत बिछा दें।
- श्री लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को विराजमान करें और पूजन सामग्री लेकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- जल कलश व अन्य पूजन सामग्री जैसे- लाई, बताशा,सिन्दूर,गंगाजल,अक्षत-रोली,मोली,फल-मिठाई,पान-सुपारी,इलाइची आदि उत्तर और उत्तर-पूर्व में ही रखा जाना शुभ है।
- इसी प्रकार गणेशजी के पूजन में दूर्वा, गेंदा और गुलाब के फूल चढ़ाएं।
- पूजा स्थल के दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीप जलाते हुए ॐ दीपोज्योतिः परब्रह्म दीपोज्योतिः जनार्दनः ! दीपो हरतु में पापं पूजा दीपं नमोस्तुते ! मंत्र का जाप करें।
- देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के लिए भोग लगाएं।
- सहपरिवार आरती करें।
- पूजन के बाद मुख्य दीपक को रात्रि भर जलने दें।
- लक्ष्मी जी के मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः। का जप करें।
- पूजन कक्ष के द्वार पर सिन्दूर या रोली से दोनों तरफ स्वास्तिक बना देने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं।
- वहीं विद्यार्थी वर्ग इस दिन माता महासरस्वती का मंत्र "या देवि ! सर्व भूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै ! नमस्तस्यै ! नमस्तस्यै नमोनमः !! का जाप करें।
दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा, आरती की जाती है। इस दिन की पूजा के लिए पूजन सामग्री चाहिए होती है। गणेश- लक्ष्मी जी की मूर्ति, साथ में मां सरस्वती की तस्वीर। चांदी का सिक्का क्योंकि इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक कहा जाता है। पूजा के लिए फूल, खासकर मां लक्ष्मी को कमल का फूल पसंद है, इसलिए वो सबसे जरूरी है।
इसके अलावा इन चीजों की जरूरत होती है। चंदन, सिंदूर, कुमकुम, केसर, पांच यज्ञोपवीत, चावल, अबीर, गुलाल, हल्दी, सोलह श्रृंगार का सामान (चूड़ी, मेहंदी, पायल, बिछिया, काजल, बिंदी, कंघा)।
5 सुपारी, 5 पान के पत्ते, छोटी इलायची, लौंग, मौली या कलावा, फूलों की माला, तुलसी दल, कमलगट्टे, साबुत धनिया, कुशा और दूर्वा, आधा मीटर सफेद कपड़ा, आधा मीटर लाल कपड़ा, दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, नारियल, पंच मेवा (मखाना, किशमिश, छुहारा, बादाम, काजू आदि), गंगाजल, पंचामृत (शहद, दूध, शक्कर, दही, गंगाजल, दूध), शुद्ध घी, मौसम के हिसाब से फल (गन्ना, सिंघाड़े आदि), नैवेद्य, मिठाई, इत्र की शीशी, लकड़ी की चौकी, मूली आदि।
आप विश्वगुरु का ताजा अंक नहीं पढ़ पाए हैं तो यहां क्लिक करें
विश्वगुरु टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।