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कथा का शुभारंभ वेदमंत्रों और कलश यात्रा के साथ हुआ। पहले दिन श्रीमद् भागवत महापुराण का महात्म्य बताते हुए पंडित पंड्या जी ने जीवन में सत्कर्म, त्याग और सत्य की महत्ता को उजागर किया। दूसरे दिन उन्होंने भागवत के तीन प्रमुख संवादों नारद-भक्ति संवाद, सनत कुमार-नारद संवाद, गोकर्ण-धुंधकारी संवाद के माध्यम से अर्पण, समर्पण और तर्पण की जीवनदायिनी व्याख्या की। उन्होंने कहा कि जो कार्य समाज के लिए हो वह अर्पण है, जो ईश्वर के लिए हो वह समर्पण है और जो पितरों के लिए हो वह तर्पण कहलाता है।
भागवत कथा का आयोजन स्व. श्री भास्करराव पाटील (पवार) एवं स्व. श्रीमती ताराबाई पाटील की पुण्य स्मृति में किया गया है। यजमानों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु, भक्तगण एवं स्थानीय नागरिक इस सात दिवसीय आध्यात्मिक आयोजन में भाग लेकर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
कथा प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक चल रही है और अंतिम दिवस 25 मई को पूर्णाहुति एवं प्रसादी वितरण के साथ समापन होगा।