इंदौर। देशभर की तरह मध्यप्रदेश, खासकर इसकी व्यवसायिक राजधानी इंदौर में अवैध कॉलोनियों की भरमार देखने को मिल रही है। सरकारी रोक-टोक के बावजूद इन कॉलोनियों में धड़ल्ले से प्लॉट बेचे जा रहे हैं और उनकी विधिवत रजिस्ट्री भी की जा रही है। लाखों लोग वर्षों से ऐसी बस्तियों में रह रहे हैं जहां बुनियादी सुविधाओं – सड़क, बिजली, पानी – का अब भी अभाव है।
अब जिला प्रशासन ने इन अव्यवस्थित और अवैध कॉलोनियों पर सख्त कार्रवाई का मन बना लिया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने सोमवार को आयोजित समय-सीमा (टीएल) बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि ऐसी कॉलोनियों में की गई रजिस्ट्री को शून्य घोषित किया जाएगा और खरीदारों को प्लॉट की राशि लौटाने की जिम्मेदारी कॉलोनाइज़रों की होगी।
कलेक्टर ने कहा कि अवैध कॉलोनियों के कारण शहर का विकास अव्यवस्थित होता है, जो इंदौर जैसे तेजी से बढ़ते शहर के लिए गंभीर चुनौती है। इन क्षेत्रों में रहवासी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी जूझते हैं, जिससे प्रशासन की साख और जीवन स्तर दोनों प्रभावित होते हैं। इसलिए अब कठोर कदम उठाए जा रहे हैं।
बैठक में जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन, आईडीए सीईओ आर.पी. अहिरवार, अपर कलेक्टर रिंकेश वैश्य सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि जिन कॉलोनियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो चुकी है, जो अवैध घोषित हैं या जिन पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है, उन सभी में प्लॉट रजिस्ट्री को कोर्ट के माध्यम से शून्य करने की कार्रवाई तुरंत शुरू की जाए। कॉलोनी सेल को इसके लिए कोर्ट में आवेदन लगाने के निर्देश भी दे दिए गए हैं।
यह फैसला इंदौर को सुनियोजित और व्यवस्थित रूप से विकसित करने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है। इसके साथ ही सीएम हेल्पलाइन पर प्राप्त जनशिकायतों और लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत मामलों के समयबद्ध समाधान पर भी विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं।